Book Title: Saman Suttam
Author(s): Yagna Prakashan Samiti
Publisher: Yagna Prakashan Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 270
________________ २४८ समणसुत्तं गाथांक ५०४ २४७ १५० १७६ ६४७ ४६२ ५८३ २८४ .२२७ ७३२ ४०७ जंकीरइ परिरक्खा जं कुणइ भावसल्लं जं च दिसावेरमणं जं जं करेइ कम्म जं जं समयं जीवो जं जाणिऊण जोई जंणाणीण वियप्पं जं थिरमज्झवसाणं जं पूण समत्तपज्जाय जं मोणं तं सम्म जं संगहेण गहियं जत्थ कसायणिरोहो जत्थेव पासे कइ दुप्पउत्तं जदि सक्कदि कादं जे जमणेगधम्मणो वत्थुणो जम्मं मरणेण समं जम्मं दुक्खं जरा दुक्खं जमल्लीणा जीवा जम्हा ण णएण विणा जयं चरे जयं चिठे जयइ जगजीवजोणी जयइ सुयाणं पभवो जयणा उधम्मजणणी जय वीयराय ! जय गुरु ! जरा जाव न पीलेइ जरामरणवेगेणं जस्स गुरुम्मि न भत्ती जस्स न · जोगपरिकम्मो जस्स न · सव्वदव्वेसु जह कंटएण विद्धो जह कच्छुल्लो कच्छं जह गुत्तस्सिरियाई गाथांक .३३५ जह चिरसंचियमिंधणम ५७८ जह जह सुयमोगाहइ ३१८ जह णवि सक्कमणज्जो ७१३ जह ते न पिअं दुक्खं .५७ जह दीवा दीवसयं २६९ जह पउमरायरयणं । ६९० जह बालो जंपन्तो .. ४८५ जह रायकुलपसूओ जह व णिरुद्धं असुहं २२१ जह सलिलेण ण लिप्पइ ७०५ जह सीलरक्खयाणं ४३९ जह हवदि धम्मदव्वं २४० जहा कुम्मे सअंगाई ४२३ जहा जहा अप्पतरो ७३१ जहा दुमस्स पुप्फेसु. ५०७ जहा पोम्मं जले जायं जहा महातलायस्स १७ जहा य अंडप्पभवा ६९१ जहा य तिण्णि वणिया ३९५ जहा लाहो तहा लोहो ७५५ जागरह नरा ! निच्चं ७५६ जागरिया धम्मीणं ३९४ जा जा वच्चई रयणी २२ जाणइ कज्जाकज्ज २९५ जाणिज्जइ चिन्तिज्जइ ५२५ जायदि जीवस्सेवं २९ जावंतऽविज्जापुरिसा ४८७ जावंति लोए पाणा २७९ जावंतो वयणपधा - ४६३ जिणवयणमोसहमिणं ४९ जिणवयणे अणुरत्ता ३८७ जीववहो अप्पवहो रोपवनो ६०९ १६८ १६२ ११८ ५४२ ५८८ १४९ ७२६ • १८ २१ १५१

Loading...

Page Navigation
1 ... 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296 297 298 299 300