Book Title: Samadhitantram Author(s): Devnandi Maharaj, Jugalkishor Mukhtar Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad View full book textPage 3
________________ मासिक जीवन परिचय पूज्यपाद देवनन्दि का जीवन परिचय चन्द्रय्य कविके 'पूज्यपादचरिते' और देवचन्द्र के 'राजावलिक' नामक प्रन्योंमें मिलता है। श्रवणबेहगोलाके शिलालेखोंमें भी इनके नामोंके सम्बन्धमें उल्लेख प्राप्त होते हैं। इनका मूल नाम देवनंदि था, किन्तु बुद्धिकी महत्ताके कारण इन्हें जिमेन्द्रबुद्धि कहा गया और देवों द्वारा पूजित होनेसे 'पूज्यपाद' कहलाये । इनके पिताका नाम माधवभट्र था और माताका नाम श्रीदेवी बतलाया गया है। ये कर्नाटक के 'कोले' नामक ग्रामके निवासी थे और ब्राह्मण कुलमें जन्मे थे । बादमें उन्होंने दिगम्बरी दीक्षा धारण कर ली थी । पूज्यपादके देवनन्दि समयके सम्बन्ध विशेष विवाद नहीं है । इनके नामका उल्लेख छठी शतीके मध्यकालसे प्राप्त होने लगता है। इन्होंने प्राचार्य उमास्वामी कृत 'तत्वार्यसूत्रम्' पर 'सर्वार्थसिद्धिः' नामक टीका लिखी है जो स्वतंत्र व्याख्या ग्रन्थ-सी प्रतीत होती है। और दिगम्बर परम्पराको सम्भवतः प्रथम दीका है। भट्ट अकलंकदेवने अपने तत्वार्यवात्तिक' ( राजवातिक ) में सर्वार्थसिद्धिके अनेकों वाक्योंको वार्तिकका रूप दिया है । और शब्दानुशासन सम्बन्धी कथनकी पुष्टि के लिए इनके जैनेन्द्र-व्याकरणके सूत्रोंको प्रमाण रूपमें उपस्थित किया है । अतः पूज्यपाद देवनन्दि अकलंकदेवके पूर्ववर्ती हैं । अनेक ऊहापोहोंके पश्चात् विद्वानों ने देवनन्दि पूज्यपादका समय ई. सन् की छठी शताब्दी सिद्ध किया है। साहित्य पूज्यपादकी देवनन्दि निम्नलिखित रचनाएँ उपलब्ध है-- १. जन्माभिषेक, २. दशक्ति , ३. तत्वार्थवृत्ति ( सर्वार्थसिद्धि), ४. समाधिसत्रम्, ५. इष्टोपदेश, ६. जैनेन्द्र-व्याकरणम्, ७. सिविधियस्तोत्रम् । १. जन्माभिवेक श्रवणबेलगोलाके अभिलेखोंमें पूज्यपादकी कृतियोंमें जन्माभिषेकका भी निर्देश आया है' । वर्तमानमें एक अन्माभिषेक छपा हुआ है। रचना प्रौढ़ और प्रवाहमय है। इसे पूज्यपाद देवनन्दि द्वारा विरचित होना चाहिए। १. जैन शिलालेखसंग्रह, प्रथम भाग, अभिलेख संख्या ४०, ५० ५५, पब-११Page Navigation
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