Book Title: Sadhu Sadhvi Yogya Pratikraman Kriya Sutro
Author(s): Sirsala Jain Pathshala, 
Publisher: Sirsala Jain Pathshala

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Page 334
________________ मूत्र पातु प्रति अर्थः १३२६॥ अने पालामा छाया एका बाघ, तेने शरीरादिकवी बोम्बी मोद प्राप्ति करावे .. २०॥ ॥ हवे बहिरात्मजाव बोमी अंतरात्मा थवानी जलायण करे . ॥ तनावात्मेति यो नावः स स्याहीजं नवस्थितेः । वहिर्वीतादविवेपस्तं त्यक्त्वातर्विोत्नतः ॥ १॥ अर्थः-देहनविणे आत्मजाव एज संसार स्थितिनुं वीज बे, माटे इंश्यिोने बहार न जवा दइ, अंतःप्रवेश करवो. ॥२१॥ विवेचन-संसार स्थिति एटले नवाजवणं रहे. याने ते जवाजवां रदेवानीज एज डे के शरीरनेज आत्मा मानवो. ते; माटे शरीरने आत्मा मानवानी बुद्धि. जो इंडियाने वाहेर व्यापार करतां अटकाव होय तो न यायः अने पनी अंतःप्रवेश सहज थतांज अंतरात्मा थवाय. ॥हवे अंतरात्मावाळो जीव पोतानी पूर्वनी बाह्यत्ति मंजारी खेद करे ने ॥ अवधारैः स्वतच्युत्दा निमनो गोचरेष्यहम् । तानासायामित्येतन दि सम्यगवेदिषम् ॥२२॥ लावार्यः-इंडियारवसे मारा आत्मतत्वमाथी खसी जइ, आ इश्यिोयी जणाना विषयोमा अरे हुं फसा पड्यो हनो, अने ते विषयोनेज असारमुधी अवलंबीने रहेलो होवायी इंडियोथी जणाताते हैं नहि ए मने सम्यकप्रकारे खरेखर, अरे. हमणा सुध! जगायुंज नहि !!! ॥ २५ ॥ ॥श्राम अंतरात्मा यथा पनी परमात्मदर्शनी कुंची देखा ने.॥ वाहासालगाग्वैत्रांतरात्मानं ततस्त्यजेत् । प्रकाशयत्ययं योगः स्वरूप परमेष्ठिन. ॥३॥ जानाथ ..नापर कहला बाल विकल्पाने बोमीद, मनमा पण आवता विकल्याने डोमी देवा एटते के हूं सुखी.ई जाखी है चतन, इखादि सघळा विकल्पोनो साग करवो, केवळ अंतरात्मा थपरमात्मानीजावना करवी, आन नावना कर. तां करतां अंतरालाने पण बोमी देवो आयो अन्याम करता करतां योका वखामांन परमालानुं खरूप पोनामा प्रतिमा से ने. ॥२३॥ Jain Edu Bon International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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