Book Title: Sadhu Sadhvi Yogya Pratikraman Kriya Sutro
Author(s): Sirsala Jain Pathshala, 
Publisher: Sirsala Jain Pathshala

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Page 353
________________ पतिक ॥३४ अर्थ:-मृढने आत्मज्योति घणी आवादित होवायी आत्माने की परवस्तुमांज ते संतोष पाने अने ज्ञानीन आत्म तत्वमांज संतोष रहे बे, कारणके बाहेर वस्तुमां मारापणानो चम दो तेने जतो रह्या दे. ॥ ६ ॥ ॥श्रा जवो क्या मुधी ने अने क्यारे मोक्ष ! ते हवे कहे . यावदात्मेन्छयाऽदत्ते वाकचिनवपुषांव्रजम् । जन्म तावदमीशं तु नेदज्ञानानवव्युतिः ।। 3 ।। अर्थः-ज्यांमुधी मन, वाणी अने कायाने आत्मा इसापूर्वक ग्रहण करे. सांमुधी तेने जन्नमरण उ अने एक तरफ म.. न, वाणी ने काया, अने बोजी तरफ हुं शुरू चैतन्य एवं यथार्थ नेदशन ययुं क माद. ॥ 90 | विवेचन-कायायी जे क्रिया करे. वचनथी जे बोले, अन मनयी जे विचारे, ते वधामा एम जाणे के हुं करूं छु, हुं बोलुं छु, हुं विचारूं छु, सांसुधी ने संसार ले. अने काया, वाण ने मन, जे क्रिया करे, तनो हूं तो साक्षी (जेम घरमां दीयो सादी होय जे तेम ) मात्र छ आम करी नवा बंधनमां न पम्तां पोताना शुस्वरूपमा रहे, तो परंपराए मोदा. ते एम के का या, वाणी ने मन, तेमज तेननी मददी थतां नर्व कार्यो ए हूं नथी अने मारा ते नर्थ), हुं तो शुरू, निष्क्रिय, चिदानंदमय आत्मास्वरूप ढुं परंतु तेमां क्रम एवो के, अशुन क्रियामा प्रवर्ततां, काया, वाणी ने मनने शुक्न क्रियामां प्रवर्ताववां अने ज्यारे एत्रणे शुन क्रियामा प्रवर्तवा लाग्या अने अशुन क्रियामां जवानी एत्रणेनी देव नांगी पमी, के रफने रफवे मनाव गणानी सहाययी शुरु स्वरूपy चिंतन करावयु. तेनुं चिंतन करता करतां कणवार मन स्थिर थइ जशे अने ए स्थिर य. युं के आनंदमय, ज्ञानमय' प्रतितास यशे. तथापि अनादिकाळना. अझानना सहचारीपणायो तेनी स्थिति कामो वार ट. कशे नहि, तया ए स्थितिनो वारंवार अज्यास करी, ए ज्ञानसंस्कार वधारवो, अने बेवटे एटले सुधी के, ए ज्ञानमंस्कार जा. गृत तो जारी रहे. पण स्वप्नमां पण जारी रहे. आवो छानसंस्कार दृढ यतां, परंपराए योमाज नवमां के तेज नवमां मो. व थाय. कारणके आवो छानसंस्कार यतांज प्रनीति करावे ले के, आ नवो चालवा मांड्या, आ चाल्या, आम अनादि अज्ञानसंस्कार जइ छानसंस्कार रहे अने ते पण अति तीव्र होय. तो एवा जम जवना शाजार ! जा. क. ॥ हवे शरीरादि नामां होवाथी पोते जामो नयी एम बात कह ले. ॥ Un Jain Education International For Personal & Private Use Only wwwalnelibrary.org

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