Book Title: Saddharma sanrakshaka Muni Buddhivijayji Buteraiji Maharaj ka Jivan Vruttant
Author(s): Hiralal Duggad
Publisher: Bhadrankaroday Shikshan Trust

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Page 192
________________ १८४ सद्धर्मसंरक्षक श्रीपार्श्वनाथ, नाडोल में श्रीपद्मप्रभु, नाडुलाई में श्रीआदिनाथ, घाणेराव में श्रीमहावीर प्रभु, सादडी और राणकपुर में श्रीऋषभदेव प्रभु के दर्शन करके अपने आपको कृतार्थ किया । वहाँ से सिरोही पधारे । वहाँ पर एक ही आधार-शिला पर निर्मित १४ जिनमंदिरों का दर्शन किया। ग्रामानुग्राम विहार करते हुए आबू पधारे और यहाँ की यात्राकर अचलगढ पधारे । यहा से पालनपुर पधारे । कुछ दिन यहाँ ठहरकर ग्रामानुग्राम विचरते हुए वि० सं० १९३२ (ई० स० १८७५) को अहमदाबाद में प्रवेश किया। अहमदाबाद में भव्य स्वागत अहमदाबाद गुजरात की जैन-नगरी कही जाती हैं । यहाँ लगभग १०० जैन मंदिर और दस हजार जैन श्रावकों के घर हैं। जब नगरशेठ प्रेमाभाई हेमाभाई और सेठ दलपतभाई भगुभाई को पता लगा कि मुनिश्री आत्मारामजी आदि पंजाबी साधु अहमदाबाद के निकट पहुँच गये हैं तो उनके हर्ष का पारावार न रहा । उन्होंने सारे जैन समुदाय को समाचार कहला भेजा । समाचार मिलते ही थोडीसी देर में नगरसेठ के वहाँ सब भाविक स्त्री-पुरुष एकत्रित हो गये । नगरसेठ प्रेमाभाई तथा इनके साथी सेठ दलपतभाई आदि लगभग तीन हजार श्रावक-श्राविकाओं के समुदाय ने अहमदाबाद के बाहर तीन मील की दूरी पर आगे चलकर महाराजश्री आत्मारामजी आदि साधु-समुदाय का सहर्ष स्वागत किया और विधिपूर्वक वन्दना-नमस्कार करके बडी धूमधाम से नगर में प्रवेश कराया और सेठ दलपतभाई के बंगले में ठहराया। धर्मप्रवचन के बाद आपश्री ने गुजरात देश में अपने आने का प्रयोजन बतलाया और कहा कि मेरे साथ में सब साधुओं की इच्छा Shrenik/DIA-SHILCHANDRASURI / Hindi Book (07-10-2013) 1(1st-11-10-2013) (2nd-22-10-2013) p6.5 [184]

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