Book Title: Saddharma sanrakshaka Muni Buddhivijayji Buteraiji Maharaj ka Jivan Vruttant
Author(s): Hiralal Duggad
Publisher: Bhadrankaroday Shikshan Trust
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पंजाब में श्रीबूटेरायजी द्वारा प्रतिष्ठित जिनमंदिर
२०५ पंजाब में श्री बुटेरायजी द्वारा प्रतिष्ठित जिनमंदिर नगर
मूलनायक का नाम प्रतिष्ठा समय (१) बडाकोट साबरवान नीचे के कमरे में वि० सं० १९१८
गुरु-नानक की, ऊपर के चौबारे में
जिनप्रतिमा (२) गुजराँवाला
श्रीचिंतामणि पार्श्वनाथ वि० सं० १९२०
वैशाख वदि-१३ (३) पपनाखा श्रीसुविधिनाथ वि० सं० १९२२
आसोज सुदि-१० (४) किला-दीदारसिंह श्रीवासुपूज्य वि० सं० १९२३
(क्षेत्रपाल प्रत्यक्ष) वैशाख वदि-३ (५) किला-सोभासिंह श्रीशीतलनाथ वि० सं० १९२४ (६) रामनगर श्रीचिंतामणि पार्श्वनाथ वि० सं० १९२४
(अत्यन्त चमत्कारी) वैसाख वदि-७ (७) पिंडदादनखाँ श्रीसुमतिनाथ वि० सं० १९२६
(प्राचीन जिनमंदिर) वैशाख सुदि-६
जीर्णोद्धार तथा प्रतिष्ठा (८) जम्मूतवी श्रीमहावीरस्वामी प्रतिष्ठा सं० पता नही।
श्रीबुद्धिविजय (बूटेरायजी) सात गुरुभाई
(१) मुनिश्री अमृतविजयजी, (२) मुनिश्री बुद्धिविजयजी (बूटेरायजी), (३) मुनिश्री प्रेमविजयजी, (४) मुनिश्री गुलाब
१. ई० स० १९४७ (वि० सं० २००४) में पाकिस्तान बन जाने पर नं० २ गुजरांवाला से नं०७ पिंडदादनखाँ तक छह नगर पाकिस्तान में चले जाने से वहाँ के मंदिरों के विषय में मालूम नहीं है कि वे सुरक्षित हैं अथवा नहीं।
Shrenik/DIA-SHILCHANDRASURI/ Hindi Book (07-10-2013)/(1st-11-10-2013) (2nd-22-10-2013) p6.5
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