Book Title: Ritthnemichariyam Part 2
Author(s): Swayambhudev, Ramnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad

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Page 202
________________ एकतीसमो कण्णज्जुण णहे पेक्खंति देव तो णरेण विसज्जिउ वाण-जालु । विणिवारिउ त वइयत्तण एकूणवीस सर कंक-पक्ख हयवर चऊहिं छहिं पत्थु विद्ध तहि अवसरे रोसिउ सव्वसाइ १५३ कुरु णिच्चल थिय आलिहिय जेव ४ ढक्कंतु समतु दियंतरालु परिपेसिय अवर चलत्तण सेल्लहर धोय-कलहोय-पुख तिहिं रहु तिहिं उत्तरु तिहिं जे चिंधु ८ पच्चक्खु परिट्ठिउ सीहु णाई पत्ता धुय-वय-लं गूलाल करिउ चंपाहिव-मत्त-महागयहो तोणा-केसरु चाव-मुहु । कुइउ धणंजउ पंचमुहु ।। १० (३) ताव विमुक्क मग्गणा जाव से पहुत्ता । रहे जुत्तारे तुरए धय-दंडे छत्ते खुत्ता ।। कमे करयले उरे सिरे मुहे णिडाले सर लाइय पत्थे तेत्थु काले मुच्छा-विहलंधलु विगय-सण्णु ओसारिउ णिय-किंकरहिं कण्णु करिकरिसे ताम णिरुद्ध पत्थु तासु वि पाडिउ दाहिणउ हत्थु ४ तो पजलिय कोव-हुवासणेण अंतरे वाहिउ दूसासणेण वलु वलु कहिं गम्मइ सव्वसाइ हउ सो दुज्जोहण-लहुय-भाइ जें स-विसु दिण्णु जउ-भवणे डाहु जे किउ पंचालिहे केस-गाहु एत्तडउ भणेवि गंडीव-हत्थु विहिं भल्लेहिं हउ वच्छयले पत्थु ८ तेण-वि सर पेसिय पंचवीस जे जायरूव-मणि-रयण-मीस धत्ता जुवराउ थणतरे तेहिं हउ भग्ग महाहवे माण-सिह । कउरवेहिं पासु अप्पाणहे आणिउ छाया-भंगु जिह ॥ १० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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