Book Title: Ritthnemichariyam Part 2
Author(s): Swayambhudev, Ramnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad
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वद्भावि वद्भाव एहिं कउपव- वाहिणि- परिभवेचि
बत्तीसमो संधि
दूरोवग्गिय दिवसयरायत्रे
अप्पिउ णंदिधोसु रहु भूअहं मच्छ महारहु जोत्तिउ पत्थें पुणु - वि हि दल चडिय धुरग्गए वृत्त कुमारु कहिज्जहि लोगहुं वरि वीसमहु एत्थु मज्झण्हए वे वि परिडिय गोट्ट-मणोहरे भणइ स-गव्वु सव्वु जणु दीसइ
करिउ विराडहो उत्तरए एक्क रहेण धणुद्धरेण
तो इंदीवर -दीहर-अच्छे अद्भवण जाहो मह पुत्तहो कुरुव-महाचमु-चूरणसीलहो तूरई देवि समुब्भहो चिवई रह जोत्तहो गय- घडो पसाहहो जंतु मणोहराउ वर वेसउ
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सत्रहो पुरहो महोच्छर जायउ
स घशुद्ध रु उत्तरु आयउ ||
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निमियई पहरणाई समि- पायत्रे खंडत्रे गोगगहे तित्तीभूयहं वलयई परिहियाई सई हत्थे कंचण - केसरि करेति महद्धए भई उत्तरेण नियत्तिउ गोग्गहु पट्टणु पइसेसहुं सायण्हए ताम पट्टु मच्छु पिय-पुरवरे णवरु कुमारुत्तरु ण वि दीसइ
धत्ता
उत्तरु उत्तर- गोग्गहे लग्गउ | आणिउ घणु दुज्जोहणु भग्गउ ||
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णिरवसेसु जणु पेसिउ मच्छे जय - सिरि- रामालिंगण-गत्तहो तोसाविय- गिव्वाणुप्पीलहो वण्ण-विचित्त-वडाय समिद्ध ईं आजाणेय तुरंगम वाहहो लेविणु दहि- दुव्वक्खय-सेसउ
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