Book Title: Ritthnemichariyam Part 2
Author(s): Swayambhudev, Ramnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad

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Page 216
________________ बत्तीसमो संधि में पइसरउ त्रिदल पुच्चइ तेण-वि कहिउ तेण जिह वृत्तउ कवि करजलि सिर- सिंह रे सयलामल - केवल- समए वुच्चइ उत्तरेण तहिं अवसरे केण-त्रि कहिउ कण्णे पहु-तोय हो दुत्तु कुमारें ताय खमात्रहि ण-वि हउं ण वि तुहुंण वरुण परियणु जो चामीयर चमरेहिं धुन्वइ जो जाणेहि जंपाणेहि जंतउ सत्त-सहास जासु मायंगह तीस-सहास-रहहं हं वसुमइ जासु सेव करइ जासु रिद्धि सुर- रिद्धि-सम दिण्णु जासु विसु कउरव णाहें जेण हिडिवु वणंतरे घाइउ जो पंचाल - सयंवरे सल्लहा जे किम्मीरु जडासुरु फेडिउ कीयउ जेण वहिउ रय-लालसु जें जिउ कण्णु संयंवर - मंडवे जो पडिलग्गइ परह पराहवे जेण विलक्खीकिउ दुज्जोहणु सो अज्जुणु जाणिज्जइ देखें Jain Education International जाउ सु-साल एत्तडउ पहुच्चइ एक्कु पइट्टु अवरु परियत्तउ धत्ता १६७ चलणेहिं पडिउ कुमारु गरिंदहो । णाई पुरंदरु परम-जिणिदहो || केण पुरोहिउ हउ भालंतरे राएं दिष्णु घाउ इहु एयहा तो जंण पत्तु तं पावहि ण-वि पुरवरुण रज्जु णउ साहगु ४ कहहिं कहंत रेहिं जो सुब्बइ वंदिण-सय-सहसेहिं थुवंतउ सट्ठि सहस जसु जच्च-तुरं गह केण संख परियाणिय अण्णहं घता जो कया-त्रि लक्खणेहि ण मुच्च३ । उहु सो राउ जुहिट्ठिल वुच्चइ [८] जो ण झुलुक्त्रिउ जउहर - डाहें भिडिउ वगासुरु जम- पहे लाइउ भिडिउ कुमारहो अणिह य - मल्लहा जेण जयद्दहु चिरु पच्चेडिउ उहु सो भीमु करेइ महाणसु हिय सुहह सिहि चारिउ खंडवे हय तल-तालुय जेण महाहवे जेण णियत्तिउ एवहि गो-हणु थिउ पच्छण्णु विदल-वेसें For Private & Personal Use Only ८ ८ ४ ८ www.jainelibrary.org

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