Book Title: Report On Search For Sanskrit MSS Year 1880 1881 Author(s): F Kielhorn Publisher: Government Central Book DepotPage 42
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org PALM-LEAF MSS. Size of leaves 292 X 1 inches. Lines on a page 4. Aksharas in a line 135 to 140. Begins: ओं नमः प्रवचनाय || Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 226 leaves, numbered with the numeral figures on the right, and with letters on the left hand side. Each page is divided into three columns. 27 नम्रामरेश्वरकिरीटनिविष्ट शोणरत्नप्रभापटलपाटलितांड्रिपीठाः । तीर्थेश्वराः शिवपुरीपथसार्थवाहा निःशेषवस्तु परमार्थविदो जयंति।।१। लोकायभागभवना भवभीतिमुक्ता ज्ञानावलोकितसमस्तपदार्थसार्थाः । स्वाभाविकस्थिरविशिष्टसुखैः समृद्धाः सिद्धा विलीनघनकमला जयंति ।। २ ।। आचारपंचकसमाचरणप्रवीणाः सर्वज्ञशासनभरैकधुरंधरा ये । ते सूरयो दमितदुर्दमवादिवृंदा विश्वोपकारकरणप्रवणा जयंति || ३ || सूत्रं यतीनतिपटुस्फुटयुक्तियुक्तं युक्तिप्रमाणनयभंगगमैर्गभीरं । ये पाठयंति वरसूरिपदस्य योग्यास्ते वाचकाश्चतुरचारुगिरो जयंति || 8 || For Private and Personal Use Only सिद्ध्यंगनासमसमागमवद्धवांछाः संसारसागरसमुत्तरणैकचित्ताः । ज्ञानादिभूषणविभूषितदेहभागा रागादिघातरतयो यतयो जयंति || ५ || इति विहितपंचपरमेष्ठिसंस्तवो गुरुजनोपदेशेन | वक्ष्ये शिष्यहिताख्यां वृत्तिमिमां पिंडनिर्युक्तेः ॥ ६ ॥ पंचाशकादिशास्त्रव्यूहप्रविधायका विवृतिमस्याः । आरेभिरे विधातुं पूर्वं हरिभद्रसूरिवराः || ते स्थापनाख्यदोषं यावद्विवृतिं विधाय दिवमगमन् । तदुपरितनी तु कैश्विद्वीराचार्यै समाप्येषा || तत्रामीभिरमुष्याः सुगमा गाथा इमा इति विभाव्य । काश्विन व्याख्याता या विवृतास्ता अपि स्तोकं ॥Page Navigation
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