Book Title: Report On Search For Sanskrit MSS Year 1880 1881 Author(s): F Kielhorn Publisher: Government Central Book DepotPage 49
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 34 PALM-LEAF MSS. Fol. 146 Kumarapala, एको यः सकलं कुतूहलितया वभ्राम भूमंडलं प्रीत्या यत्र पतिवरा समभवत्साम्राज्यलक्ष्मीः स्वयं । श्रीसिद्धाधिपविप्रयोगविधुरामीणयद्यः प्रजां कस्यासो विदितो न गूर्जरपतिश्चौलुक्यवंशध्वजः ॥२८॥ Ends: श्रीश्वेतांवरहेमचंद्र वचसा पात्रे मम श्रोतसी श्रीसर्वज्ञपदारविंदयुगले भृगायितं चेतसः । त्वत्पुच्या कृपया समं परि वयो योगस्त्वया सर्वदा भूयान्मे भुवने यशः शशिसखं मोहांधकारछिदे ।। इति निष्क्रांताः सर्वे । पंवमोऽकः समाप्तः ।। ७ ।। इति श्रीमंत्रियशःपालविरचितं मोहराजपराजयो नाम नाटकं ।। ॥ ७॥ कल्याणमस्तु ।। २।। मंगलं महाश्रीः ।। ५।। 51. Yogarastravritti [योगशास्त्रवृत्तिः]. Fraginents of about 150 leaves. 52. The same. Fragments of about 300 leaves. Rajaprasniya; see below No. 72. Rajaprasniyopangavrittika; see below No. 72. 53. Rudratakavyalamkaratippanaka [रुद्रटकाव्यालंकाTOT7 by NAMI; stated to contain 3,coo Granthas. Fol. 86 इति स्वेलभिक्षुनमिविरचितं रुद्रटकाव्यालंकारप्रथमाध्यायप्पिन समाप्तम् ॥ 276 इति ग्धेतांवरनमिविरचिते रुद्रटालंकाराटिप्पनके द्वितीयोध्यायः समाप्तः ॥ 456 ...... टिप्पनके यमकाध्यायस्तृतीयः ।। 65a स्वेतांवरपंडितनभिविचिते रुद्रटालंकारपिनके श्लेषाध्यायश्चतुर्थः।। 812 ...... पप्पनके चिमाध्यायः पंचमः समाप्तः ॥ 986 इति स्वेतांवरनमिविरचिते रुद्रनालंकारटिप्पनके षष्ठोध्यायःसमाप्तः।। 125b इति नमिसावविरचिते रुद्रदालंकारदिपनके वास्तवाध्यायः सप्तमः समाप्तः ॥ For Private and Personal Use OnlyPage Navigation
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