Book Title: Report On Search For Sanskrit MSS Year 1880 1881 Author(s): F Kielhorn Publisher: Government Central Book DepotPage 50
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir PALM-LEAF MSS. 151a साधुन मिविरचिते रुद्रटालंकारटिप्पनके औपम्याध्यायोऽष्टमः स माप्तः ॥ 16oa इति नमिसाधविरचिते रुद्रटालंकारटिप्पनके अतिशयालंकाराध्या यो नवमः समाप्तः ॥ 171a ......टिप्पनके श्लेषाध्यायो दशमः समाप्तः ॥ 184a .....टिप्पनके अर्थदोषाध्यायः एकादशमः समाप्तः ॥ 187b ......विप्पनके द्वादशोध्यायः समाप्तः ॥ 1886 इति पंडितनमिविरचिते रुद्रदालंकारविष्पनके त्रयोदशोध्यायः स माप्तः।। Igrb इति नमिसाईविरचिते रुद्रटालंकाररिप्पन के चतुर्दशोध्यायःसमाप्तः॥ 1936 इति नमिसाधुकृते रुद्रटालंकारटिप्पनके पंचदशोऽध्यायः समाप्तः॥ End of Adhy. XVI on Fol. 1986. 199 leaves; with the exception of a few slightly worm-eaten leaves, well preserved; numbered with the numeral figures on the right, and with letters on the left hand side. Size of leaves 13 X iš inches. Lines on a page 4. Aksharas in a line 60 to 65. Date: Samvat 1176. Begins : निःशेषापि त्रिलोकी विनयपरतया संनमन्ती पुरस्ता यस्यांदिवसक्तांगुलिविमलनखादर्शसक्रांतदेहा । निर्रतिस्थानलीना भयदभवमहारातिभीत्येव भाति । श्रीमन्नाभेयदेवः स भवतु भवतां शर्मणे कर्ममुक्तः।।१॥ पूर्वमहामतिविरचितवृत्त्यनुसारेण किमपि रचयामि । संक्षिप्ततरं रुद्रटकाव्यालंकारटिप्पनकं ॥ २॥ इह शास्त्रकारः शिष्टस्थितिपालनार्थमविनेन शास्त्रसमाप्त्यर्थं च प्रथममेव तावत् गणनायकस्य स्तुतिमाह ॥ अविरलेत्यादि ।। Ends: एवं रुटकाव्यालंकारटिप्पनकविरचनात्पुण्यं । यदवापि मया तस्मान्मनः परोपकृतिरति भूयात् ॥ ७॥ थारापद्रपुरीयगछतिलकः पांडित्यसीमाभव त्सरिभूरिगुणैकमंदिरमिह श्रीशालिभद्राभिधः । For Private and Personal Use OnlyPage Navigation
1 ... 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121