Book Title: Ratnakarsuri Krut Panchvisi Jinprabhsuri Krut Aatmnindashtak Hemchandracharya Krut Aatmgarhastava Author(s): Ratnakarsuri, Jinprabhsuri, Hemchandracharya Publisher: Balabhai Kakalbhai View full book textPage 2
________________ ॥ श्री रत्नाकरसूरिजी कृत पंचवीसी ॥ ॥ गाया १ लीना बुटा शब्दांना अर्थ. ॥ श्रेयः = मोहनी श्रियां लक्ष्मीनुं मंगल - कल्याण कलि-क्रिमा सद्म=घर नरेंड् - चक्रवता देवें- देवताना शेए नत-नमेला बे; वंदन कर्या बे प्रघ्रिपद्म= चरणकमल सवक्=समस्त वस्तुना जालनारा सर्वातिशय-बधा अतिशयोए करी प्रधान-मोटा चिरं = लांबा वखत सुधी जय = जयवंता वर्तो ज्ञान- केवलज्ञान कला - बोहोतेर कला निधान- जंडार श्रेयः श्रियां मंगल के लिसद्म, नरेंद्र देवेंद्र - नतांघ्रिपद्म ॥ सर्वज्ञ सर्वातिशयप्रधान, चिरं जय ज्ञानकला निधान ॥ १ ॥Page Navigation
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