Book Title: Raipaseniya Suttam
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Gurjar Granthratna Karyalay

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Page 8
________________ रायपसेण प्रवेशक इय सुत् ॥८॥ राजा प्रसेनजितनो संबंध होवार्नु जाण्युं होय अने ते आधारे तेमणे राजप्रसेनकीय अथवा राजप्रसेनजित ए, नाम आप्यु होय. आ सिवाय बीजी कोई एची कल्पना ख्यालमा नथी आवती के जे उक्त नामोनो खुलासो आपी शके अने आ सूत्रनां जे नामो ए| आचार्योप लख्यां छे तेने खोटां तो कही ज केम शकाय ? आ सूत्रमा आवती पपसी-प्रदेशीनी हकीकत उपरथी वेबर महाशये 'शयपसेणीय' ने बदले 'रायपपसीय'नी कल्पना करी छे. वस्तु जोतां आ नाम अन्वर्थ लागे छे, पण ए कल्पनाने कशो आधार मळतो नथी. उपांग परंपरा प्रमाणे आ सूत्र सूयगडंग सूत्रनु उपांग कहेवाय छे. आ परंपरामां केटलुं प्रामाण्य छे ए वस्तु विशेष विचारणीय छे. । नंदीसूत्रमा ज्यां श्रुतज्ञानना विभागो कर्या छे तेमां 'अंग' 'उपांग' तरीकेनो विभाग जणातो नथो, परन्तु 'अंग' अने 'अंगबाह्य' एवो विभाग मळे छे. वळी तेमा मात्र अंगोनो ज परिचय आप्यो छे, पण उपांगो विशे के अमुक उपांगना अमुक अंग साथेना संबंध विशे कशु जणाववामां आव्यु नथी, एटले 'अमुक सूत्रो उपांग छे अने ते अमुक सूत्रोनां उपांग छे' एवी मान्यताने प्राचीन शास्त्रोनो टेको न मळे त्यां सुधी ए मान्यता केवळ परंपरा ज गणाय अने ५ परंपरागत मान्यताने स्वीकारतां, इतिहासनी दृष्टिए, बहु विचार करवो पडे. ग्रंथनी वस्तु आ सूत्रमा मुख्य नायक राजा पएसी छे, तदुपरांत, चित्त सारथि, भगवान महावीर, केशीकुमार श्रमण, राजा जितशत्र, राजा सेय, राजा सेयनी राणी धारिणी, पपसीनी राणी सूर्यकांता, तेनो पुत्र सूर्यकांत वगेरे व्यक्तिओ तथा आमलकप्पा नगरी, श्रावस्ती नगरी, श्वेतांबी नगरी, केकयदेश, कुणालदेश वगेरे स्थळोनुं वर्णन आवे छे. ए वर्णन ते वखतनी नगररचना, प्रजानी स्थिति,राजानी स्थिति For Private & Personel Use Only Jain Educationtemaalinal www.jainelibrary.org

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