Book Title: Raipaseniya Suttam
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Gurjar Granthratna Karyalay

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Page 11
________________ रायपसेणइय सुत् प्रवेशक ॥११॥ जोशे तो आधुनिक रंगभूमि उपर तेओ कोई नवी कल्पना जरूर करी शकशे. आ ग्रन्थना मूळनुं प्रमाण अनुष्टुप श्लोकनी गणतरीप २१२० श्लोक लगभगर्नु तथा टीकार्नु प्रमाण ३७०० श्लोक जेटलुं छे. ग्रंथनी भाषा मूळसूत्रनी भाषा आर्षप्राकृत छे. आ सूत्रनी भाषानुं आर्षप्राकृतपणु एटलुं स्पष्ट छे के ए विशे कई चर्चा करवा जेवू रहेतुं नथी. मूळसूत्रमा पवा घणा शब्दो छ जे गुजराती शब्दो साथे भारोभार साम्य धरावे छे. प दृष्टिप गुजराती भाषाना अने जुनी गुजराती भाषाना इतिहासना अभ्यासीए आ सूत्र तेम ज अन्य जैन सूत्रो अवश्य वांचवा जोईप. कर्ता अने टीकाकार आ ग्रन्थना मूळसूत्रना कर्ता विशे कोई चोक्कस नाम जणावी शकातुं नथी. परन्तु भगवान महावीर पासेथी सांभळेली हकीकत कोई गुरू कोई शिष्यने कहेता होय पयो भास रचनाशैली जोतां थाय छे. परन्तु आखो ग्रन्थ जोवा छतां कोई पण विशिष्ट कर्तानो उल्लेख मळी शकतो नथी. पटले एना कर्ता सम्बन्धी शोध करवानी बाकी रहे छे. सांप्रदायिक मान्यता प्रमाणे अंगवाह्य श्रुतनी रचना स्थविरो करे छे ए जोतां कोई स्थविर मुनिए आ सूत्र रच्यु होय एम कही शकाय. ___ आ सूत्रना टीकाकार आचार्य मलयगिरि सम्बन्धी विशेष हकीकत उपलब्ध थई नथी. तेओ आचार्य हेमचन्द्रना समसमयी छे ए वात निर्विवाद छे. तेमणे अंग उपांग वगेरे उपर अनेक टीकाओ रची छे, अने तेओ एक टीकाकार तरीके घणी ज ख्याति पामेला आचार्य छे. तेमनी टीकामा घणी जग्याए तेमनु स्वतन्त्र व्यक्तित्व पण मालुम पडे छे. तेमणे अनेक टीकाओ रच्या छतां कोई पण जग्याए पोतानो कशो परिचय आप्यो नथी एनुं कारण ते समये इतिहास लखवानो रीवाज नहीं कहेवा करतां तेमनी नम्रता कहेवी ए विशेष उचित छे. तेओ वैयाकरण पण हता. तेमणे एक व्याकरण पण रच्यु हतुं. अने पोतानी टीकामा घणे स्थळे पोताना Jain Education lemon For Private & Personal Use Only jainelibrary.org

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