Book Title: Purusharth Siddhi Upay Author(s): Amrutchandracharya, Vishuddhsagar Publisher: Vishuddhsagar View full book textPage 3
________________ पुरुषार्थ सिद्धि उपाय : आचार्य अमृत चंद्र स्वामी पुरुषार्थ देशना : परम पूज्य आचार्य श्री १०८ विशुद्ध सागरजी महाराज Page 3 of 583 ISBN # 81-7628-131-3 v- 2010:002 नहीं लगेगी. सिद्ध शिला पर विराजमान होने के लिए, मोक्ष मार्ग पर तीन रत्नों (सम्यक दर्शन, सम्यक ज्ञान और सम्यक चारित्र) के साथ किस तरह से प्रयाण किया जा सकता है इन सभी का विस्तृत रूप से वर्णन किया गया है. एक सिंह भी जब अपने परिणामों को निर्मल कर भगवान बन सकता है, तीर्थंकर बन सकता है तो हम क्यों नहीं बन सकते ? अरे । हमारे पास तो संयम भी है जो एकेन्द्रिय से लेकर चतुरेंद्रियों और असंज्ञी पंचेन्द्रिय के पास नहीं होता है. आचार्य श्री विशुद्ध सागरजी ने अपनी चिर परिचित शैली में इसे समझा कर और भी सरल बना दिया है. जैसे सूर्य के प्रकाश के प्रगट होते ही अन्धकार का विनाश हो जाया करता है उसी तरह सम्यक दर्शन के प्राप्त होते ही सम्यक ज्ञान हो जाता है और अपने चारित्र के महाव्रतो द्वारा मोक्ष के द्वार की दिशा में आगे बढ़ा जाता है. सिर्फ हमें अपने परिणामों को निर्मल बनाने का पुरुषार्थ करना है. इस ग्रन्थ का मेरे मन मस्तिष्क पर इतना प्रभाव हुआ है कि मेरे पास इसे व्यक्त करने के लिए शब्द ही नहीं हैं. "मेरी भावना" में कहा भी है - “ रहे सदा सत्संग उन्ही का, ध्यान उन्ही का नित्य रहे, उन्ही जैसी चर्या में यह चित्त सदा अनुरक्त रहे, ऐसे ज्ञानी साधू जगत के दुःख समूह को हरते हैं.” इसके लिए मैं, एक अल्पज्ञानी, अपने गुरु का वंदन करता हूँ और यह प्रयास करूंगा कि मैं अपने स्वरुप को पा लूँ. धन्य हैं वे (भेलसा) विदिशा के श्रावक जिनको आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी के मुखारविंद के अमृत पान का अवसर मिला. ऐसे पल ऐसे क्षण भाग्यवान लोगों के जीवन में ही आते हैं. परन्तु हमें यह अवसर फिर भी मिल रहा है देशना को पढकर अपने जीवन में उतरकर तरने का. इस ई-संस्करण को आप तक पहुँचाने के लिए श्री अक्षय कुमारजी जैन (उम्र मात्र २५ वर्ष एवं पेशे से इलेक्ट्रिकल इंजिनियर) की प्रेरणा मिली. यहाँ यह बताना भी प्रासंगिक होगा कि इस देशना-ग्रन्थ को उन्होंने ही मुझे दिया और इसका बहुत से उदाहरणों द्वारा मेरे मन मस्तिष्क को प्रभावित कर दिया. Visit us at http://www.vishuddhasagar.com Copy and All rights reserved by www.vishuddhasagar.com For more info please contact : akshayakumar_jain@yahoo.com or pkjainwater@yahoo.comPage Navigation
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