________________
- 20. जीवो भवं भविस्सदि णरोऽमरो वा परो भवीय पुणो।
किं दव्वत्तं पजहदि ण चयदि अण्णो कहं हवदि।।
जीवो
होगा
भविस्सदि णरोऽमरो
वा
अन्य ..
भवीय
(जीव) 1/1
जीव . (भवं) वकृ 1/1 अनि (परिणमित) होता हुआ (भव) भवि 3/1 अक [(णरो)+(अमरो)] णरो (णर) 1/1 ... मनुष्य अमरो (अमर) 1/1
देव .. अव्यय
अथवा (पर) 1/1 वि . (भव-भविय-भवीय) संकृ होकर अव्यय अव्यय
क्या (दव्वत्त) 2/1
द्रव्यता को (पजह) व 3/1 सक , छोड़ देता है अव्यय (चय) व 3/1 सक छोड़ता है (अण्ण) 1/1 सवि अन्य अव्यय
कैसे (हव) व 3/1 अक होता है (होगा)
पुणो
किन्तु
दव्वत्तं
पजहदि
ण
नहीं
चयदि अण्णो कह हवदि
अन्वय- भवं जीवो णरोऽमरो वा परो भविस्सदि पुणो भवीय किं दव्वत्तं पजहदि ण चयदि अण्णो कहं हवदि।
अर्थ- (परिणमित) होता हुआ जीव मनुष्य, देव अथवा अन्य (नारकी, तिर्यंच) होगा, किन्तु (मनुष्य, देव आदि) होकर क्या (वह) द्रव्यता को छोड़ देता है? (यदि) नहीं छोड़ता है (तो) (वह) अन्य कैसे होगा? अर्थात् वह द्रव्यदृष्टि से जीव रहेगा। 1. प्रश्नवाचक शब्दों के साथ वर्तमानकाल का प्रयोग प्रायः भविष्यत्काल के अर्थ में होता है।
(34)
प्रवचनसार (खण्ड-2)
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org