Book Title: Pravachansara Part 02
Author(s): Kamalchand Sogani, Shakuntala Jain
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 169
________________ AA अमूर्त अरूव अ-पदेस प्रदेश-रहित 45,71 अ-प्पदेस प्रदेश-रहित अफल फलरहित 24 अमुत्त अरस रस-रहित रूप-रहित अलिंगग्गहण तर्क रहित अवत्तव्व अवक्तव्य अव्वत्त अप्रकट असंख असंख्य असंदेह संदेह-रहित असद्द शब्द-रहित 71,80 असद्धव ध्रुव (द्रव्य) अस्तित्व रहित 13 अशुभ 63, 64, 66, 67, 88, 89, 105 असुह आदित्त आहारय इदर उग्ग उवओगप्प वगैरहपन आहारक भिन्न आक्रामक रूखवाला उपयोगास्वरूपवाला/ चैतन्यस्वरूपवाला उपयोगस्वरूप उपयोगमय 101 उवओगप्पग उवओगमअ (162) प्रवचनसार (खण्ड-2) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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