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समारद्ध
समुद
सिलिट्ठ
गेज्झ
य
मुणेदव्व
कुव्वं
परिणममाण
भवं
संसरमाण
(160)
प्रारम्भ किया
गया
उचित प्रकार
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प्रयत्नशील हुआ
संयुक्त
अहोज्जमाण न होता हुआ
समझा जाना
चाहिये
जानने योग्य
समझा जाना
चाहिये
भूक अनि
विधि कृदन्त
ग्रहण करने योग्य विधिक अनि
विधिक अनि
भूक
हुआ
अनि
भूक अनि
वर्तमान कृदन्त
वकृ
ग्रहण करता हुआ वकृ
परिणमण करता वकृ
विधिकृ
अनि
होता हुआ
परिभ्रमण करता वकृ
हुआ
वकृ अनि
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32
107
96
39
38, 42
105
2, 33, 39
222
21
92
26
20
28
प्रवचनसार (खण्ड-2)
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