Book Title: Pravachansara Part 02
Author(s): Kamalchand Sogani, Shakuntala Jain
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 173
________________ महत्थ 100. . लुक्ख वट्टण्ण वदिवदद महापदार्थ 38, 39, 81 रूक्ष 71,73 रहनेवाला मंदगति से गमन करनेवाला 46 मंदगति से चलनेवाला जीतनेवाला प्रकार . विजय विध विविध विविह विसम विसुद्ध विहीण अनेक प्रकार का अनेक विषम सद्गुणी रहित वेउव्विअ स-अणुकंप वैक्रियिक करुणा-सहित कर्म-सहित स-कम्म - 26 सग स्व 2,75 92, 94 10, 51 सण्णिद स-पज्जाय स-पदेस स्व-संबंधी नामक पर्याययुक्त प्रदेश-सहित अपने प्रदेशों-सहित सम 43, 86, 96 सम समान (166) प्रवचनसार (खण्ड-2) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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