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26. णरणारयतिरियसुरा जीवा खलु णामकम्मणिव्वत्ता । ण हि ते लद्धसहावा परिणममाणा सकम्माणि ।।
णरणारयतिरियसुरा [(णर) - (णारय) - (तिरिय ) -
(सुर) 1/2]
(जीव) 1/2
अव्यय
जीवा
खलु
णामकम्मणिव्वत्ता
5 कुछ नट
लद्धसहावा
परिणममाणा
सम्माणि
[(णामकम्म) - (णिव्वत्त)
भूक 1/2 अनि ]
अव्यय
अव्यय
(त) 1 / 2. सवि
[(लद्ध) भूक अनि
( सहाव ) 1 / 2 ]
(परिणम) वकृ 1/2
( स-कम्म) 1/2 वि
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मनुष्य, नारकी, तिर्यंच,
देव
जीव
निश्चय ही
कर्म से
रचे गये
नहीं
चूँकि
वे
प्राप्त किया गया
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स्वभाव
परिणमन करते हुए
कर्मों सहित
अन्वंय- णरणाऱयतिरियसुरा हि णामकम्मणिव्वत्ता सकम्माणि
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परिणममाणा ते जीवा खलु लद्धसहावा ण ।
अर्थ- चूँकि मनुष्य, नारकी, तिर्यंच और देव (निश्चय ही ) नामकर्म से रचे गये (हैं), (इसलिए) कर्मों सहित परिणमन करते हुए वे जीव (ऐसे हैं) (जिनके द्वारा) (शुद्ध) स्वभाव निश्चय ही प्राप्त नहीं किया गया (है)।
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प्रवचनसार ( खण्ड - 2 )
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