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क्रिया
अस
चिट्ठ
जा
णस्स
परिणम
पाडुब्भव
भव
मुह
मुज्झ
रज्ज
वट्ट
वय
विज्ज
संजाय
सक्क
सिलिस
(152)
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अर्थ
होना
क्रिया - कोश
अकर्मक
ठहरना
उत्पन्न होना
नष्ट होना
परिणमन करना
उत्पन्न होना
होना
मूर्च्छित होना
मोह करना
राग करना
अनुरक्त होना
होना
नष्ट होना
होना
विद्यमान होना
रहना
उत्पन्न होना
समर्थ होना
बँधना / चिपकना
गा.सं.
64
86
27, 37, 75
2 = 20
27
31
11
62
83
83
84
36,46
11
9
40
50
78
48
29
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प्रवचनसार (खण्ड-2)
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