Book Title: Pravachansara Part 02
Author(s): Kamalchand Sogani, Shakuntala Jain
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 164
________________ आगद आदद आदिट्ठ इअ उप्पण्ण जुत्त उवट्ठिद कय खविद गद जाद जीविद जुत्त जुद ठिद णिचिद णिच्छिद णिट्टिद आया हुआ व्याप्त कहा गया प्राप्त उत्पन्न हुआ उत्पन्न Jain Education International संलग्न स्थित किया गया नष्ट कर दिया गया गया हुआ परिवर्तित हुआ उत्पन्न उत्पन्न हुआ हुआ जीया सहित संलग्न युक्त स्थित भरा हुआ निश्चय किया प्रवचनसार (खण्ड-2 ) भूक अनि भूकृ अनि भूकृ अनि भूक अनि भूक अनि भूक अनि भूकृ अनि भूक अनि भूकृ. अनि भूक भूकृ अनि भूकृ अनि भूकृ भूकृ भूकृ भूकृ भूक अनि भूक अनि भूक अनि भूक अनि भूक अनि भूक हुआ पूर्ण किया हुआ भूक अनि For Personal & Private Use Only 84 44 23 79 11 47 67 108 70 104 888888 89 78 46 61, 94 107 55 74 66 88,95 2 76 34 53 (157) www.jainelibrary.org

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