Book Title: Pratyekbuddh Charitram
Author(s): Jain Dharm Vidya Prasarak Varg
Publisher: Jain Dharm Vidya Prasarak Varg
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________________ चरित्रं 343 रिचितैर्जनैः // ए // जनैश्चानुगम्यमाना / नम्यमाना नवैर्नवैः // साध्वी मदनरेखा सा।। राजमंदिरमासदत् // 70 // दृष्ट्वोपलदय सहसा / समुत्थाय ससंज्रमः // दत्तासनश्चंऽयशाः / खसवित्री नमोऽकरोत् // 71 // ऊचे च प्रांजलिर्मात-हते ताते शुचाकुले // मयि त्वं क गता कुत्र / गृहीतं चाईतं व्रतं // 2 // ततः साध्व्या समस्तेऽपि / वृत्तांते कथिते नृपः // अप्राक्षीत्सांप्रतं मात-मम नाता क तिष्ठति // 3 // साध्व्याजाणि वेष्टयित्वा / पुरमेत. स्थितोऽस्ति यः // स तेऽनुजो महाराज / नमिः कमपराक्रमः // 7 // श्रुत्वेति तत्क्षणं जात-हर्षोत्कर्षेण जुजा // निवार्य संगराद् नृत्यान् / प्राचालीन्नमिसन्मुख // 5 ॥प्रीत्याज्यायांतमाकर्ण्य / सोत्कंठं निजमग्रजं // नक्त्या मुक्तानिमानोऽथ / चचालानिमुखं न'मिः // 6 // नमिनम्रांग आगत्य / पपाताग्रजपादयोः // तेनाप्युत्थाप्य हस्तान्यां / गाढमालिंगितोऽनुजः // 7 // जाता दर्शनमात्रेण / पूर्वषम्नवसंनवा // स्फुटान्योन्यं तयोः प्रीति-ातृजावोनवापि च // // प्रातरौ कुंजरारूढी। ददानौ दानमद्भुतं // नवत्सू. त्सवदेषु / पुरे प्राविशतामुनौ // नए // अहो शत्रू कथं जातौ / जातराविति विस्मितैः / Jun Gun Aaradhak Trust P.P.AC. Gunratnasuri M.S.

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