Book Title: Pratyekbuddh Charitram
Author(s): Jain Dharm Vidya Prasarak Varg
Publisher: Jain Dharm Vidya Prasarak Varg
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________________ जस्व शिवमव्ययं // 7 // नमिः-आरंजाजंतुसंघात-घातको हिधर्मगन् / सवारजविमुक्कैन / साधुना तुलयेत्कथं // 7 // मेरुसर्षपयोर्याह / वार्धिगो पदयोर्यथा // अंतरं ता. दृशं विधि / गृहस्थयतिधर्मयोः // 5 // एवमादिप्रकारेण / विवाद सुरशेखरः // विधायावधिनादादी-चेतोवृत्तिं मुनी शितुः // ए.॥ ज्ञात्वा निश्चलस्वांतं / तं मुनि निर्जरेश्वरः / / परिहत्याखिला मायां / स्वरूपं. प्रकटं व्यधात् // ए१ ॥प्रणिपत्य सत्यजक्त्या / मया मायां विधाय जोः // खेदितोऽसि परीक्षायै / तत्क्षमस्व मानिधे // ए // उक्रवेति स्तोतुमारेने / नमि बिन्नजवज्रमि // समं स्तुतौ च निंदायां / निरहंकारमानसं // 3 // तथाहि-जय मेरुधराधरधीरचित्त / जय जीवदयापर मुक्त वित्त // जय सत्वसमुद्र गुणैकपात्र / जय संस्तिसागरयानपात्र // ए // जय मुक्तिसुयोषिति बहराग / जय पातकपादपनंगनाग // जय जंगमकल्पतरूपमान / जय मानविवर्जितदत्तदान // ए५ // जय पादपवित्रितऋमिनाग। जय निर्मममानस मुक्तराग // जय शोजनबुझिविशुद्धकाय / जय गंजितमन्मथमोहमायः॥ // ए६ // जय सर्वसुपर्व विनम्यपाद / जय तार्जतगार्जितधीरनाद // जय कर्मरिपूञ्चयचूरपेश / PP.AC. Gunratnasuri M.s: Jun Gun Aaradhak Trust

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