Book Title: Pratyekbuddh Charitram
Author(s): Jain Dharm Vidya Prasarak Varg
Publisher: Jain Dharm Vidya Prasarak Varg
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________________ प्रत्येक नागरैलोक्यमानौ तौ / राजीगणमुपेयतुः // ए // एकीभूताविव प्रीत्याः / सुदर्शनपुरे पुरे // || सहोदरावुने राज्ये / पालयंतावतिष्टता // ए॥ साधुः साधुपरीवारः / केवलज्ञानमंजुलः॥ चरित्र पुरोद्यानेऽन्यदीयासीत् / सूरिराम् गुणसागरः // 2 // तद्वंदनाय तत्कालं / जग्मतुव॑तरा३ya || बुनौ / देशना विदधे सोऽपि / धर्ममार्गप्रदीपिका // ए३ // तत्क्षणं प्रतिबुझात्मा।श्रीमच्चं 'अयशा नृपः // स्वराज्यं नमये दत्वा / सूरिपार्श्वे व्रतं ललौ // ए४ // पालयन् समयाचारमितिचारविवर्जित // कर्मारिमारणं कृत्वा / केवलज्ञानमासदत् ॥ए॥ विहृत्य जगतीपीठे प्रतिबोध्य धनान् जनान् // स राजर्षिश्चंद्रयशा / आरोहन्मोदमदयं // ए६ // साध्वी म. दनरेखापि / कर्माण्युन्मूख्य मूलतः // आसाद्य केवलज्ञानं / निर्वाणपदंवीं ययौ // ए // पाखयन्नथ साम्राज्य-व्यं नमिनरेश्वरः॥ आक्रमत्वप्रतापेन / निखिलदोणिनायकान् // // ए // सुदर्शनपुरे स्थित्वा / स्वयं राजा कियच्चिरं // चिरं परिचितां बाख्या-मिथिला पुरमाययौ // एए // पश्चान्मंत्रिवर#क्तै-स्तस्यैश्वर्यमबूजुजत् // नमि मितवैर्योघो। वीर्या॥ दुस्थादगंजितः // 60 // पंचप्रकारविषयान् / जुंजानस्यास्य भूजुजः // जयशेखरमुख्यास्तु / P.P. Ac-Gunratnasuri MS. Jun Gun Aaradhak Trust

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