Book Title: Pramanvartik Bhasyasya Karikardhapad Suchi
Author(s): Rupendrakumar Pagariya
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 16
________________ प्रमाणवार्तिकभाष्यस्य कारिकार्धपादसूची अर्थ इत्येव जानानः ३. १.३७. ४४३ अर्थ एवार्थिता लोके ३. १०५८. ४१५ अर्थकारणशुद्धत्वात् ३. ९७८. ३९६ अर्थक्रिया किमर्थात्मा ३. ९०. १७७ अर्थक्रियाऽपि तस्यास्ति ३. १९५. २०३ अर्थक्रिया कुतोऽर्थश्च ४.९५. ४८९ अर्थक्रियाऽप्रसिद्ध ३. १६०. १८७ अर्थक्रियातस्तज्ज्ञान २. १७८. २४ अर्थक्रियादयो दृष्टा २. १७९. २४ अर्थक्रियादिसम्बन्ध ३. ३४८. २७६ अर्थक्रिया न भिन्नेन १. ५४१. ६२१ अर्थक्रियार्थिनामर्थे २. ७०८. १३१ अर्थक्रियार्थिनो वृत्ति ३. ७१५. ३६४ अर्थक्रियासमर्थत्व ३. ५०, १७५ अर्थक्रियास्वरूपस्य २. २०५. २७ अर्थग्रहेऽप्यनाकारा ३. ११२७. ४ ४१ अर्थप्रतिविवेशो हि 3. ९२३. ३८४ अर्थप्रतीतौ पुरुषः २. १२३. १९ अर्थप्राप्तेन मिश्या चेत् ४. ८५. ४८७ अर्थभेदो निमित्त चेत् ३. ६५२. ३५७ अर्थमात्रेऽप्यनाकाङ्क्षा ४. १७८. ३१ अर्थरूपे सुखादौ च ३. ४७४. ३०८ अर्थवित्तरपि ममेत्येवं ३. ११.५. ४६० अर्थशून्योऽवभासो हि ३. ९६८. ३९१ अर्थसंवेदने ज्ञाते ३. ६८८. ३५९ अर्थस्तत्र न सत्त्वेन ३. ६५९. ३५८ अर्थस्य प्रतिभासः स्यात् ३. १०७२, ४२१ अर्थस्य प्राप्तिरन्यत्र ३. ९२८. ३८४ अर्थस्य भावाभावाभ्यां २, ५०५. ८६ अर्थस्य भाविभूतत्वाद् ४. १८०. ५३१ अर्थस्य सोक्षात्करणं ३. ६१२ ३४३ अर्थस्याग्रहणात् तेन ३. ४५८. ३०७ अर्थस्यात्र किमायात ३.५२२. ३ अर्थस्यासम्भवेऽभावात् ४. २०४. ५३७ अर्धस्यासौ स्वभावश्चत् ३. ५११. ३१९ अर्थः सिध्येत समस्तस्य ४. ४७. ४७८ अर्थादप्युन्मुखीभाव ३. ५२३. ३२१ अर्थादर्थविदो वेयं ३. ११५४. ४६० अर्थाधिमुक्तिः संवित्ते ३. ९७. १७८ अर्थानर्थक्रियाशक्तो २. २६७. ३७ अर्थान्तरं तरिक्रया चेत् ३. ९१. १७७ अर्थान्तराभिसंबन्धा १. ३५१. ५७९ अर्थापत्तिरतीतत्वा . ११५९. ५६२ अर्थापत्तेस्तर्कतो ३. १५३. १८४ अर्थापत्तेस्तर्कतो वा ३. १५०. १८४ अर्थापत्तेः क्षयादेव ३. ८९६. ३८१ अर्थापत्त्या तदाकार' ३. ११००, ४२८ अर्थापरोक्षताज्ञान ३. ६२०. ३४५ अर्थाभावेऽप्यनुभवात् ३. १०८६. ४२६ अर्थाभेदे कथं तेन ३. १०३२. ४०६ अर्थाभेदेऽपि पाण्डुत्वा २. ३३८. ४५ अर्थाश्रयेणोद्भवतः ३. १४०, १८२ अर्थित्वविषयो वस्तु ३. ३०. १७१ अर्थी मालम्बनं तत्र ३. ७५४. ३६९ अर्थे तदापि प्रश्नः स्यात् ३. ६२७. ३५२ अर्थेऽप्यनर्थ इति तु ३. ९१०. ३८४ अर्थे विकल्पकत्वं चेत् ३. ४५३. ३०७ अर्थे समानाकारश्चेत् ४. ४६. १७८ अर्थोन्मुख्यप्रतीतिस्तु ३. ५२४. ३२१ अर्थोऽयमेवं प्रतिपद्यमानो ४. २१२. ५३८ अर्थोऽयमेवमेवेति ३. १७०. १८८ अर्थोऽयं पूर्वमप्यासी ३. ११३५. ४४३ अर्हतां तु यदज्ञानं २. ८८६. १४५ अर्हन्मरणचित्तस्य २. १२१. ६३ अलौकिकत्वादुभयात् ३. ९२५. ३८४ अल्पयलेन सर्वज्ञ ३. ५५७. .२९ अवतारो भवेन्नवा ३. १४९. १८३ . अवधारणमेवैकं ४.४ ५१८ अवस्तुवृत्तिव्यवहार ४. २११. ५३७ अवस्थाकारणं वस्तु २. ४७४. ७८ अवस्थाकृन्निवृत्तौ हि २. ४७४. ७८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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