Book Title: Pramanvartik Bhasyasya Karikardhapad Suchi
Author(s): Rupendrakumar Pagariya
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 31
________________ प्रमाणवार्तिकभाष्यस्य कारिकार्धपादसूची ततश्चेन्न विशेषोऽस्ति २. ६५२. १२२ ततस्तत्रापि संकेत ४. ४. ५७४ ततस्तत्पूर्विका सा या २. ३९१. ५६ ततस्तत्प्रत्ययादेष ३. ४३६. २९९ ततस्तत्राऽपि स्याच्चे २. ४०६. ५९ ततस्तत्रैव युक्तेय ४. २०९. ५३७ ततस्तथैव संवादा २. ५१८. ९. ततस्तदपरत्रैव ३, ५९४. ३३४ ततस्तद्वद् द्वितीयोऽपि ४, १५७. ५१६ ततस्तयोयोस्तत्त्वं ३. ६३२. ३५४ ततस्तस्य न संवित्ति ३. ११२. १७९ ततस्तस्य स्वयं शुक्ल ४. ३४३. ५७५ ततस्ताः परमाणून २. ५३९. ९५ ततस्तेन न पूर्वत्वं ३. ३९९. २९२ ततस्तेनापि सम्बन्धे ३. ११७. १८० ततो जाग्रद्धिया बाध्या ३. ९५४. ३८७ ततो द्रव्याविशेषः सः ४. २७४. ५५४ ततो न कस्यचिच्चोय २. ५६२. ९९ ततो न ज्ञायते रूपं ३. १०२२. ४०२ ततो न परमार्थोऽसा २. २४०. ३३ ततो न पूर्वापरयों २. ८१७. १५१ ततो न भेदे वृत्तिः ४. ३३२. ५७२ ततो नरकपातादि ३. ५६६. ३२९ ततोऽनवस्थाव्याघेणा ३. ६२. १७६ ततोऽनवस्था सैव स्यात् २. १९५. २४ ततोऽनवस्थितेः सत्त्वं ३. ६४, १७६, ततो न सर्वविषया २. ३६२. ५१ ततो नार्थक्रिया सा २. १८०. २४ ततो नावयवि द्रव्यं ४. २८१. ५५७ ततो नास्ति विचारादे ३. ३३०. २६९ ततोऽनिरालम्बनता ३. ८९२. ३८१ ततो निरूपणा किं न ३. ७३८. ३६७ ततो निवृत्तिरित्येतच्च ३. १.१५. ४०० ततोऽनुमानतो भेदः २. ७०४. १३१ ततोऽनुमानमेवान ३. २८. १७२ ततोऽनुमानतो विमो ४. २८१. ५५७ ततोऽन्यद्योत्यता प्राप्ता ३. ११४८. ४४९ ततोऽन्वयव्यतिरेकाभ्याम् ३. १६६. १८८ ततोऽपकृष्यमाणं तं ४. ३२२. ५७१ ततोऽपि हि न सामान्याद् ४. ३३५. ५७३ ततोऽप्रमाणविषये ३. १७४. १८९ ततो बाधकशङ्का स्यात् ४. २०९. ५३७ ततो बुद्धिरपि प्राप्ता ३. ११४७. ४४९ ततो भावात् परा नैव ३. १५१. १८४ ततो भाव्यर्थविषय २. १०. ५ ततो मोक्षस्थितस्यास्य २. ८७५. १६४ ततोऽयं नित्यतापक्षः ४. २६४. ५४९ ततोऽर्थादित्वसिद्धत्वं ३. ६०३. ३३९ ततोऽर्थापत्तिसंवित्तौ ३. ११५८, ४६२ ततोऽर्थेन भवतीत्ये ३. ६२१. ३४५ ततो विलक्षणाद्धेतोः ३. ६७८. ३५८ ततो विषयनानात्वात् ३. ८४०. ३७८ ततो विशेषरहितान्न २.६५१. १२१ ततो व्यावर्त्तनं नास्ति ४. ३९६. ५९१ ततो व्यावृत्तिभेदेन ४. ३२५. ५७१ ततो व्यावृत्तिमात्रेण ४. २४०. ५४६ ततोऽसतो न तस्यापि ४. ३९८. ५९१ ततोऽसद्विषयं भ्रान्त ३. ८९. १७७ ततोऽस्य दृष्टिर्जातेयं ३. ११३४. ४४३ ततोऽस्य वीतरागत्वे ३. ५५४. ३२९ तत्कार्यदर्शनादेव ३. १०६९. ४२० तत्कार्यदर्शनान्नैतत् ३. ७२० ३६६ तत् कार्यसममेतत् तु २. ३३४. ४४ तत्कालयोगस्तु न तेन २. ६१५. ११३ तत्कालाभावतस्तस्य ४. ४६१. ५९८ तत्काले यदि वर्तेत ३. ५१७. ३२१ तत्कालेऽर्थः स नास्त्येव ३. १८७. १९६ तत्कालेऽविद्यमानस्य ३. १०७४. ४२१ तत्कृपाक्रमतोऽथ २. ३४८. ४८ तत्तदाकारविज्ञानं ३. ६५३. ३५७ तत्ताथागतधर्मनीतिनिपुण ४. ६२३. ६४८ तत्तावन्मात्रमेवास्ति ३. ८०२. ३७४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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