Book Title: Pramanvartik Bhasyasya Karikardhapad Suchi
Author(s): Rupendrakumar Pagariya
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 47
________________ ४० प्रमाणवार्तिकभाष्यस्य कारिकार्धपाद सूची नास्य पीडाकृतः केचित् ३. ५४४. ३२८ नास्यास्ति भ्रान्तिता यावन् ३ १०१४ ४०० निखिलहेतु पराक्रमरोधिनी ३. ९४९. ३८६ निजः स्वभावसम्पर्कः २. ७६. १५० निजाभासविविक्तस्य ४ ९३. ४८९ नित्य एव हि दृष्टत्वाद् ४. ६१०. ६४६ नित्या च भवेदेवम् ३. ७१. १७६ नित्यताव्यापिता या हि ४. ३१. ४७६ नित्यत्वग्रहणं तंत्र ४. २९४. ५६८ नित्यत्वात् परमाणूनां २. ३१५. ४२ नित्यत्वाध्यवसायाच्च ३. २९१. २६८ नित्यत्वेतरयोरेव ३. १०४२ ४१० नित्यत्वेतरयोर्दोषः ३. ६०. १७६ नित्यत्वे भवति भ्रान्तिः २८७७ १६५ नित्यमेवानुबन्धेन ३. १०९७. ४२८ नित्यरूपेऽविकार्ये हि ४. ५०३. ६११ नित्यव्यावर्तनादन्य ४. ५६० ६२९ नित्यस्य चाव्यतिरेकि २. ३५५ ४९ नित्यस्य व्यापिनः शक्तिः ४ १५१. ५१५ नित्यस्य ह्यविकारत्वात् ३. ६६३. ३५८ नित्यस्याव्यतिरेकस्य २. २२७. ३३ नित्यस्यास्ति न सामर्थ्य ३. ५१. १७५ नित्य हेतोरभावोऽस्ति २. ५८९. १०९ नित्याद् व्यावर्तते येन ४. ६०६. ६४५ नित्यानामपि नैवास्ति ४. ११०, ५०२ नित्यानित्यत्वसन्देहे ४. ५५३. ६२८ नित्यानित्यप्रयत्नोत्था ४. ३९३. ५९० नित्यानित्यविनिर्मुक्तः २. ७५६. १४१ नित्यानुमेये दृष्टान्तः ३. ४३९. ३०० निद्राव्यपगमे पूर्व २. ४६८. ७५ निर्देशो वचनं तस्मा २. २२८, ३३ नियतत्वप्रतीत्यैवा ३. ४०. १७३ नियतादेव संस्कारात् ३. १०९६. ४२८ नियमश्च विकल्पश्च ४. १०० ४९७ नियमादिति नैवेदम् ३. ३४३. २७४ नियमेन विना तस्य ४ ५४६. ६२५ Jain Education International नियमेनापरस्यापि ३. ११०३. ४२९ नियमो हेतुमात्रत्वे ४. ६२. ४८९ नियामकत्वमस्यासद् २. ५७६. १०२ नियुक्तेन निवृत्तिवेत् २. ३६. ८ नियुज्यमानविषयं २ ३८, ९ नियोक्तुः सिद्धरूपत्वा २. ७९. १२ नियोगः पुरुषस्येष्टो २. ११५. १४ नियोगः प्रेरणारूपों २. ८०. १२ नियोगः स कथं नाम २. १०८ १४ नियोगः समुदायोऽथ २. ८५. १३. नियोगः समुदायोऽस्मात् २. ९५. १४ नियोग इष्यते वाक्य २. ८२. १३ नियोगत्वं प्रतीतेः स्यात् २ ११३ १४ नियोगो नैव कस्यापि २ १०६. १४ नियोगो भावना धातों २. ३५. ८ नियोगो यदि वाक्यार्थः २ ११४ १४ नियोजकस्य धर्मोऽयं २, १०९, १४ नियोज्यधर्मिभावो हि २. ३९. ९ नियोज्योsपि नियोज्यत्वं २.८० १२ निरन्वयविनाशित्वे ३. ६६७. ३५८ निरालम्बनता चेह ३. ७६५. ३७१ निरालम्बनता नाम ३. ७३९. ३६७ निरालम्बनताऽन्यत्व ३. ८८८. ३८१ निरालम्बनत्वसाध्यत्वळ ३. ८२८. ३७६ निरालम्बनबुद्धेश्च ३ ८३७. ३७७ निरालम्बनबुद्धेश्च ३. ८५२. ३७८ मिरालबनभावेन २. ४८९. ८२ निरालम्बनशब्दस्य ३ ७७७, ३७२ निरूपणेऽपि न परं २. २५१. ३६ निरूपणे बाधकं चेत् ४. ४५४. ५९८ निरूपयिष्यते पञ्चा २. ३०५. ४१ निरूप्य करणं तस्य २. ३०३. ४१ निर्वाणेऽपि सुखं नैव २. ८२६. १५२ निर्वानिम्नो हि पुरः प्रदीपः ४ ४१८. ५९३ निर्विकल्पकोsपि ३. ३०२ २४८ निर्विकल्प कमित्युक्तं ३ ४७१. ३०८ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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