Book Title: Pramanvartik Bhasyasya Karikardhapad Suchi
Author(s): Rupendrakumar Pagariya
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 21
________________ १४ प्रमाणवार्तिकभाष्यस्य कारिकाधपादसूची इह जन्मनि केषाञ्चिन् ३. ९३५. ३.५ इह नयमनुसृत्य ३. ५८४. ३३१ इह लोकोऽपि नैवास्ति २. ७१७, १३२ इहोपलभ्यमानस्य ३. ६५६. ३५७ ईक्षणेऽर्थोऽनुमानं तत्” ४. ८३. ४८७ ईक्त्वे योगिबुद्धीनां ३. ९३८. ३८५ । ईदृशान्यस्य पूर्वाणि ३. ५८१. ३३१ ईदृशी (तस्य) सा शक्तिः २. २४७. ३५ ईश्वरत्वमपि प्राप्त २. २९८. ४० ईश्वरत्वेरितः सोऽपि २. ३५२. ४८ ईश्वरप्रेरितो गच्छेत् २. २५४. ३६ ईश्वरस्तस्य कर्ता चेद् २. २८०. ३८ ईश्वरस्य कथं वुद्धिः २. ३०२. ४१ ईश्वरस्य च हेतुत्वे ३ १२०. १८. ईश्वरस्य यदि नास्ति २. ३५३. ४८ ईश्वरस्याक्षदृश्यत्वं २. ३१६. ४२ ईश्वरस्यापि सैवेथा २. ५११. ८९ ईश्वरादिविकल्पानां ४. १४४.५१४ ईश्वरादीश्वरत्वस्य २. २९ ७. ४० ईश्वरादेव सर्वस्य २. २७३. ३८ ईश्वरोऽपि तथाऽन्येन २. २७१. ३७ उक्तमत्र विनाभ्यासान ३. २८. १७२ उक्तमेतत् प्रबोधो हि ३. ७०६. ३६३ उक्तमेतद् यतो द्वाभ्यां ४. ५५७. ६२९ उक्तमेतद् यतो धर्मि ४. १०४, ५.. उक्तमतन्न तादात्म्यं ४. ४८६. ६०४ उक्तसामर्थ्यतो यस्य २. २२३. :. उक्ता शास्त्रकृता सा तु ४. ९. ४६८ उक्तोऽनुक्तोऽपि चेहेतु ४. ११६, ५०८ उत्कर्षोऽस्ति गुणानां चेत् २. २९.८. ४० उत्तरं पूर्वसहित ४. १९५. ५३४ उत्तरार्थक्रियाभावात् २. ४. ४ ।। उत्तरावयापेक्षो ४. २६९. ५५३ उत्पत्तिः कार्यतो नान्या ३. १२९. १८१ उत्पत्तिकाले सत्ता ३. १२९. १८१ उत्पत्तेः प्रागविज्ञातं ४. २५६. ५४८ उत्पन्नमपि विज्ञानं २. ५०३. ८५ उत्पन्नेनाऽन्यथा वाऽपि २.. ४२८. ६६ उत्पन्ने यदि नीलत्व २. ५५१. ९७ उत्प्रेक्ष्येत हि यो मोहाँ ४. ४५२. ५९७ उदयश्च यतो दृष्टः ३. ७४६. ३६८ उदरान्तर्गतत्वाच्चेत् २.४ १२६ उदात्ताादेप्रभेदं हि ३. २२३. २०९ उदासीनस्वरूपस्य २. ७८. १२ उदितं नोपयोगीद २. ७२१. १३२ उद्वेजनीये वैमुख्य ३. ५४३. ३२८ उन्मेषादिक्रियाः सर्वा २. ५१६. ९० उपकाराविशेषस्तु २.६८४. १२७ उपघातेन्द्रियग्राह्या ३. १५९. १८७ उपघातो यतस्तस्य ४. १३५. ५१३ उपघातः स एवास्य २. ८४५. १५५ उपचारस्य भावाच्चेत् २. ५५६. १२३ उपचारविहीनाया २. ५५६. १२३ उपचारात् कुतस्तु स्यात् २. ५३७. ९५ उपदेशं विनाध्यक्ष २. ६३. १० उपदेश इत्यनादित्वात् २. २७४. ३८ उपदेशस्य दाता चेत् ३. ९९५. ३९७ उपदेशस्य सैव स्याद् ४. २२५, ५४० उपदेशो हि लोकानाम २.६२. १० उपधानानुरागो हि ३. ११२१. ४३८ उपमानेन गोवस्तु ३. ३७. १७३ उपयोग विना भूभृत् २. ३२९. ४३ उपयोगविनिर्मुक्ते ३. ३०, १७२ उपयोगो विकल्पस्य ३. २४१. २१८ उपलक्षिताभ्यां तत्त्वेन ३. २६५, २२२ उपलब्धिय॑तः सत्ता २. ६१८. ११४ उपलब्धिलक्षणाप्तं ४. २९५, ८ उपलब्धिः परस्येति ४. ४४९. ५९७ उपलब्यऽयसत्तायां २. ६१८. ११४ उपलब्धो न विच्छेदः २. ४८३. ७८ उपलम्भः पुनर्व्यक्ति ४. ३२४. ५९८ उपलम्भ एव सत्तेति ४. ५८३. ६३८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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