Book Title: Pramanvartik Bhasyasya Karikardhapad Suchi
Author(s): Rupendrakumar Pagariya
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 18
________________ प्रमाणवातिकभाष्यस्य कारिकार्धपादसूची ११ असत्यत्वे हि धर्मस्या ४. ४०४. ५९२ असत्यया (कथं) तर्हि ३. ९५२. ३८६ असत्त्यरूपग्रहणे ३. ३७१. २८४ असत्यव्यवहारोय २. ४ १४७ असत्यार्थावभासस्तु २. १२७. १६ असत्यास्तिमिरज्ञान ३. १७५. १८९ असत्योऽपि विकाराय २. ३९४. ५६ असदकरणादुपा ४. ६१३. ६४७ असमबाध्यं नापीष्टं ३. ४९.८. ३१६ असमञ्जसभावाय ३. ९९६. ३९७ असमञ्जसवृत्तस्य ३. ९९३. ३९७ असमन्जसवृत्तित्वं ३. ९९४. ३९७ असमानस्य सामान्य ४. ३६९, ५८४ असमानोपलम्भे तु २. ८२२. १५१ असम्बन्धेऽपि चाक्षेपे ४. ३५६. ५८२ असम्भवित्वं पक्षस्य ४. १६०, ५१९ असम्भवे विरोधे च ३. २८५. २३७ असर्ववित् सर्वविदं ३. ५६८. ३२९ असर्वज्ञस्य कर्तृत्वे २. २६९. ३७ असाक्षात्करणाकारे ३. ४६७. ३०८ असाक्षात्करगाच्चैतत् ३. १९८. २०३ असाक्षात्कृतिहेतुत्वा २. ५९९. १११ असाधारणता तेन ४. १९४, ५३३ असामादपार्थत्वान् ४. ६००. ६४४ असामथ्यांदहेतुत्व ३. ४३०. २९६ असिद्धं यस्य तरुषु २. ३४०. ४६ असिद्धतापि दोषोऽत्र ४. ३५०. ५७८ असिद्धर्मिसम्बन्धः ४. २९७, ५६८ असिद्धप्रतिबन्धस्य ४. ६१५. ६४७ असिद्धसम्बन्धतया च ३. १७. १७१ असिद्धस्य च तस्यास्तु २. १११. १४ असिद्धः साध्यसम्बन्धः २. २०३. २६ ।। अस्तीति ज्ञायता केन ३. १००९. ३९८ अस्त्येव वस्तु नान्वेति ४. ७३. ४८३ अस्त्येव वासनाभेद ३. ६५०. ३५७ अस्त्येव शुद्धविज्ञानात् ३. ४७८. ३१० अस्पष्टता कथं नाम २. १४७. १९ अस्पष्टाकारभासचेत् ३. १३२. १८१ अस्फुटावरणं तस्य ३. १०७६. ४२२ अस्मत्सुखं विनाप्यस्य ३. ७२६. ३६६ अस्मद्ग्राह्य विनाऽप्यस्य ३. ७२७. ३६६ अस्माकं ते योगिभिस्तस्य २. ८१०. १५० अस्मादेवोदयोऽस्येति ४. ४९४. ६०६ अस्मिंस्त्वभ्यासमात्राद् ४. ६१९. ६४८ अस्मिन्नर्थे प्रसिद्धेऽपि ४. ८१. ४८७ अस्मिन् सतीति नैवास्मा २. २०६. २७ अस्य व्यक्तिरितीदं तु ३. ११६१. ४६३ अस्यापि क्रियतां नेद २. ७१६. १३२ अस्यापि क्षयमिच्छन् को २. ७१८. १३२ अस्यार्थस्य कथं न स्यात् ३. ७९४. ३७४ अस्येदं नाम संकेता. ३. ३१७. ३६४ अस्वरूपावभासे च ३. ३६८. २८३ अस्वसंवेदनत्वे हि ३. ११४१. ४४५ अष्टाणुकात् परं रूप २. ३०७. ४१ अहं काणः सुखी गौरः ३. ७४४. ३६८ अहं गौरादिरित्येवं ३. ४२४. २९५ अहमित्यपि यद् ज्ञानं ३. ७४४. ३६८ अहेतुगुणयुक्तस्य २. ३००. ४० अहेतुत्वेऽपि नाशस्य ४. ५९८. ६४४ अहेतोरपि भावस्य २. ६९९. १३१ अहेतोनित्यतैवास्ति २. ५८७. १०९ अहेतोहि पदार्थस्य २. ७२८. १३३ आकस्मिकं तस्य कुत २. २४२, ३४ आकारनियमः सिद्धो ३.६१८. ३४५ आकारान्तरसन्देहो ३. २०६. २०६ आकाशं व्यापि नित्यं च ४. १३२. ५१३ आकाश एव श्रुतिरस्य ४. १५३. ५१५ आकाशगुणयुक्तस्य ४. १५८. ५१७ आकाशगुणः शब्द २. ३४२. ४६ आकाशवायुप्रभवो हि ४. १५३. ५१५ आकाशादसतस्तस्य ४. ५६५. ६३० आकाशादेरपि प्राप्त २. २३१. ३३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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