Book Title: Pramana Naya Tattvaloka Author(s): Himanshuvijay, Purnanadvijay Publisher: Amblipol Jain Upashray View full book textPage 6
________________ (६) प्रमाणनयतत्त्वालोक छट्टा परिच्छेदमां प्रमाण विषयनी चर्चा अने प्रभाजनां फलोनी मीमांसा करी छे. सातमा परिच्छेदमां नयविषयक ज्ञान उदाहरणो साधे बहु ज विस्तारथी जाणवा मळे छे. आठमा परिच्छेदमां वाद, जिगोषु आदिनां लक्षगो पूर्वक वादी, प्रतिवादी, सभा, सभ्य, वादस्थाननां लक्षगो बताव्यां छे. विद्वद्वर्य शान्तस्वभात्री स्व. मुनिराज श्री. हिमांशुविजयजी म. श्रीए आ ग्रन्थनुं संशोधन कर्यु हतुं अने ते पहेली आवृत्तिनी ज प्रस्तावना साधे कंई पण फेरफार कर्या वगर अमे फरीथी जोई गया छीए, जेनुं आ द्वितीय मुद्रण छे. विक्रम सं. २०२५ नां पर्युषण आंबली पोळ जैन उपाश्रयना ट्रस्टीओना आग्रहने लईने मारे अहीं करवानां हतां ते प्रसंगे आगेवानोने आ पुस्तकनी उपादेयता माटे वात करी हतो. मने जणावतां अत्यन्त आनंद थाय छे के उपाश्रयना मुख्य ट्रस्टी शेठ श्री. केशवलाल लल्लुभाई झवेरीए अने बीजा भागवानोए पण आनाकानी कर्या वगर आ पुस्तकने फरीथी छपाववानो प्रबंध आंबली पोळ जैन उपाश्रयना ज्ञानस्वातामांथी कर्यो छे, ते बदल तेमने खूब खूब धन्यवाद. पंडितप्रवर श्रीमान् अंबालाल प्रेमचंद शाह, जे मारा प्राथमिक विद्यागुरु छे तेमनी महेनत पण धन्यवादने पात्र छे, ए मारे कबूल करवुं रं.Page Navigation
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