Book Title: Prakarana Ratnakar Part 4
Author(s): Bhimsinh Manek Shravak Mumbai
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 10
________________ कर्मग्रंथ पांचमो. कर्मग्रंथ पांचमो. १७ गाथा ५ मी पारिग्राफ ४ थामां श्रादि अध्रुव लखेल डे त्यां आदि ध्रुव जोश्ए. १० गाथा ६ ही पारिग्राफ जानी बीजी पंक्तिमा वर्ण ४ त्यां वर्णादिक ४ जोश्ए. १ए गाथा ७ मी पारिग्राफ त्रीजामा ७ मी लीटीमा अध्रुवबंधीनी कमु डे त्यां ते बदल अध्रुव उदयी ग्रहण करवी. २० गाथा ए मी पारिग्राफ बीजामां सम्यक्त्व तथा मिश्र मोदनीयनी सत्ता अनादि मिथ्यात्वीने होय ते बदल न होय एम व्याजबी बे. १ गाथा २४ मी पारिग्राफ पहेलामां नमी पंक्तिमा ३३ सागरोपम पूर्वकोडी पृथक्त्व कमु डे त्यां ३३ बदल १३५ सागरोपम संनवे . मिथ्यात्व साखादनना अनाव नणी. २२ गाथा २७ मी पारिग्राफ पहेलामा ६ ही लाइनमा अवधि दर्शनावरणीय पनी केवलझानावरणीय ते ज्ञानावरण शब्द काढी दर्शनावरण शब्द करवानो बे. २३ गाथा श्ए पारिग्राफ बीजामां मी पंक्तिमा पीत वर्ण अने कटु रस ने त्यां नील वर्ण अने कटु रस जोशए. २४ गाथा ३२ बीजी पंक्तिमा खास चतुष्कमां नपघात गएयुं तेने बदले उद्योत जोश्ए, कारण के तेजसू पंचकमां उपघात गणा गयेल . तेज गाथानी वीशमी पंक्तिमां सैकडा वर्ष ते कर्मनी अबाधा जाणवी त्यार पड़ी ते शब्दना बदले अने शब्द जोइए, पली जघन्य शब्द ले तेनी पनी स्थितिबंधे एटला शब्द वधारवा जरुरना लागे . अने तेज गाथामां बेवट १४ प्रकृति मेलवी ने तेमां गाथा २६ मीना श्रावेल नरकायु, देवायुनी हकीकत नेगी गणवी श्रने जे गाथा ३० मां समकित तथा मिश्र मोहनीय गणी जे ते प्रकृति मेलववा माटे समजवू, तेनो स्थितिबंध जूदो होतो नथी. वली १५७ मेलववा माटे आहारक सप्तक तथा जिननाम तथा मनुष्य अने तिर्यंचनुं आयुष्य जे आगल श्रावशे ते दश वधारवाथी १५७ मली रहेशे. २५ गाथा ३३ पारिग्राफ बेखानी पांचमी पंक्तिमा संख्याता वर्षना मनुष्य विना अन्य गतिथी चवी युगलीयुं मनुष्य न थाय ते ठेकाणे संख्याता श्रायुष्यवाला मनुष्य अने तिर्यंच विना एम समजवं. तथा त्रीजी पंक्तिमां मनुष्यनु सख्यु डे त्यां मनुष्य अने तियंचनुं जोश्ए. २६ गाथा ३४ पारिग्राफ पहेलामां बेसी लाश्नमां तेटला काले हीन शब्द ले ते Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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