Book Title: Prakarana Ratnakar Part 4
Author(s): Bhimsinh Manek Shravak Mumbai
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 16
________________ . . . . ॥ श्री॥ प्रकरणरत्नाकरानिध पुस्तकना चोथा नाग मांदेला समस्त ग्रंथोनी स्थूल विषयानुक्रमणिका प्रारंजः १ पहेवू इंजियपराजयशतकं बालावबोधसहितम्. २ बीजुं श्रहंदादिस्तवनं विविधपद्यरचनात्मकम्. ३ त्रीजु श्री पार्श्वनाथस्तवनं अनुष्टुववृत्तबछम्. चोथु श्री चतुर्विंशतिजिनस्तवनं नानापद्य निबझम्. .... २ पांचमुं श्री युगादिजिनस्तवनं अनुष्टुवृत्तविरचितम्..... ३ बहुं श्री पार्श्वजिनस्तवनं अनुष्टबवृत्तयुक्तम्. ७ सातमुं श्री जिनप्रजसूरिकृतं अनेकपद्यग्रथितं श्री शांति जिनस्तवनम्. जाग्मुं परागशब्दाष्टोत्तरशतार्थ निबई साधारण जिनस्तवनं विविधवृत्तवलम्. २५ ए नवमुं श्री महावीर जिनस्तवनं बहुलपद्यस्वरूपम्. .... १० दशभु श्री पार्श्वनाथ जिनस्तवनं शार्दूलविक्रीडितवृत्तकथितम्. .... ११ अगीश्रारमुं श्री शषनादिजिनस्तवनं द्रुतविलंबितवृत्तप्रयुतम्. .... .... १२ बारमो संघयणीरत्न त्रैलोक्यदीपिकाख्य ग्रंथ बालावबोध सहित बे, ते .... मध्ये जूदां जूदा चोत्रीश छार , तेनी अनुक्रमणिका लखीए बीए. ..... १ प्रथम दोढ गाथाए करी ग्रंथकर्ताए मंगलाचरण तथा ए ग्रंथ मध्ये कहेवानां चोत्रीश छारनां नाम तथा अनिधेय, प्रयोजन, संबंध अने अधिकारी, ए चारनुं प्रतिपादन कस्युं . .... २ वीजी गाथाना उत्तराईथी मामीने अढारमी गाथा पर्यंत चारे निकायना देवोनी जघन्योत्कृष्टायुनी स्थितिनुं प्रथम हार का बे. ३ उंगणीशमी गाथाथी मांडीने एकशो पांत्रीशमी गाथा पर्यंत चारे निकायना देवोनी जुवनसंख्या- बीजुं हार कडं . ते मध्ये तेमना इंसोनां नाम तथा आजरणो श्रने मुकुटनां चिह्न, शरीरना वर्ण, वस्त्रोना वर्ण, सामानिक देवोनी तथा आत्मरक्षक देवोनी संख्या, सात कटकनां नाम, त्रायस्त्रिंशक देवोनी संख्या, विमानोनुं प्रमाण तथा आकार अने चंजसूर्यना परिवार, चंसूर्यनां मामला तथा तमस्कायर्नु महत्वपणुं अने चौद राजलोकनुं स्वरूप इत्यादिक अनेक वातो प्रसंगे कही बे. .... .... ४१ ४ एकशो ने बत्रीशमी गाथाथी देवोनां शरीरनी अवगाहनानुं त्रीजें छार कह्यु जे. ए Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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