Book Title: Prachin Jain Itihas Sangraha Part 03 Kaling Desh ka Itihas
Author(s): Gyansundar Maharaj
Publisher: Ratnaprabhakar Gyanpushpamala

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Page 9
________________ प्रा० जै० इ० तीसरा भाग नहीं सकता । स्याद्वाद की नीतिद्वारा आज जैनी सब विधम्मियों का मुंह बन्द कर सकने में समर्थ हैं । कलिङ्ग देश में जैनियों का नाम निशानतक जो आज नहीं मिलता है इसका वास्तविक कारण यही है कि विधर्मियों ने जैनियों को दुःख दे दे कर वहाँ से तिरोहित किया । आधुनिक विद्वमंडली भी यही बात कहती है। आज इस वैज्ञानिक युग में प्रत्यक्ष बातों का ही प्रभाव अधिक पड़ता है । पुरातत्व की खोज और अनुसंधान से ऐतिहासिक सामग्री इतनी उपलब्ध हुई है कि जो हमारे संदेह को मिटाने के लिए पर्याप्त है । जिन प्रतापशाली महापुरुषों के नाम निशान भी हमें ज्ञात नहीं थे, उन्हीं का जीवन वृत्तान्त आज शिलालेखों, ताम्रपत्रों और सिक्कों में पाया जाता है। उस समय की राजनैतिक दशा, सामाजिक व्यवस्था और धार्मिक प्रवृति का प्रामाणिक उल्लेख यत्र-तत्र खोजों से मिला है। इन खोजोंद्वारा जितनी सामग्री प्राप्त हुई है उन में महाराजा खारवेल का खुदा हुआ शिलालेख बहुत ही महत्व की वस्तु है । ___ खारवेल का यह महत्वपूर्ण शिलालेख खण्डगिरि उदयगिरि पहाड़ी की हस्ती गुफा से मिला है । इस लेख को सब से प्रथम पादरी स्टर्लिङ्गने ई० सन १८२० में देखा था। पर पादरी साहब उस लेख को साफ़ तौर से नहीं पढ़ सके। इसके कई कारण थे। प्रथम तो वह लेख २००० वर्ष से भी अधिक पुराना होने के कारण जर्जर अवस्था में था । यह शिलालेख इतने वर्षों तक

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