Book Title: Prachin Jain Itihas Sangraha Part 03 Kaling Desh ka Itihas
Author(s): Gyansundar Maharaj
Publisher: Ratnaprabhakar Gyanpushpamala

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Page 33
________________ ३० प्रा० इ० जै० इतिहास भाग की नदियाँ बहने लगीं। कलिंग वालों ने खूब प्रयत्न किया पर अन्त में अशोक की ही विजय हुई । कलिंग देश पर अशोक का अधिकार होते ही बौद्ध धर्म इस प्रान्त में चमकने लगा । अशोक बौद्ध धर्म के प्रचार करने में मशगूल था अतएव जैन धर्म की जंगह धीरे धीरे बौद्ध धर्म लेने लगा । ब्राह्मण धर्म वाले कलिंग को अनार्य देश कहते थे इस कारण अशोक के आने के पहिले. कलिंग वासी सब जैन धर्मावलम्बी थे। __ तत्पश्चात् खेमराज का पुत्र बुद्धराज कलिंग देश में तख्तनशीन हुआ। यह बड़ा वीर और पराक्रमी योद्धा था। इसने कलिंग देश को जकड़ने वाली जंजीरों को तोड़ कर इसे स्वतन्त्र किया पर मगध का बदला तो यह भी न ले सका। वैसे तो कलिंग नरेश सब के सब जैनी ही थे पर बुद्धराज ने जैन धर्म का खूब प्रचार किया। अपने राज्य के अन्तर्गत कुमारगिरि पर्वत पर उसने बहुत से जैन मन्दिरों का जीर्णोद्धार कराया । नये जिन मन्दरों के अतिरिक्त उसने जैन श्रमणों के लिए . कई गुफाएँ भी बनवाई। क्योंकि उस समय इनकी नितान्त आवश्यकता थी। . महाराजा बुद्धराज ने बड़ी योग्यता से राज्य सम्पादन किया। किसी भी प्रकार के विघ्न बिना शान्ति पूर्वक राज्य सम्पादन करने में यह बड़ा दक्ष था । अन्त में इसने अपना राज्याधिकार अपने योग्य पुत्र भिक्षुराज को प्रदान कर दिया, राज्य छोड़कर

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