Book Title: Prachin Jain Itihas Sangraha Part 03 Kaling Desh ka Itihas
Author(s): Gyansundar Maharaj
Publisher: Ratnaprabhakar Gyanpushpamala

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Page 40
________________ कलिंग देश का इतिहास - -.. महाराजा खारवेल के जैनाचार्योद्वारा लिखित शिलालेख से इतिहास में कलिंग के राजा खेमराज बुद्धराज | . कलिंगपति महाराजा खेमराज और खारवेल ( भिक्षुराज) | बुद्धराज और खारवेल । खण्डगिरि उदयगिरि पर जैन | | कुमार कुमारी पर्वत पर जैनमन्दिर, जैन गुफाऐं। मन्दिर जैन गुफाएं। मगध का नंदराजा कुमार पर्वत । मगध का नंदराजा कुमारपर्वत पर से स्वर्णमय जिनमूर्ति ले गया। | पर से स्वर्णमय जैनमूर्ति ले गया। महाराजाखारवेल मगध से जिन-|. महाराजा खारवेल मगध से जिनमूर्ति वापस कलिङ्ग में ले आया। | मुर्ति वापस कलिंग में ले आया। महाराजा खारवेल ने कुमार | महाराजा खारवेल ने कुमार पर्वत पर एक सभा की थी। पर्वत पर एक सभा की थी। महाराजा खारवेल ने विस्मृत | महाराजा खारवेल ने जैनागमों को होते श्रागमों को फिरसे लिखाया। | ताड़पत्रों आदि पर लिखाया। महाराजा खारवेल ने जनहित महाराजा खारवेल ने जनता के कूए, तालाब, बाग, बगीचे कराए | हितार्थ अनेक शुभ कर्म किये । तथा वह मगध से नहर लाया। महाराजा खारवेल के शिलालेख से तीन या चार सौ वर्ष पश्चात् लिखे हुए जैनाचार्य के इतिहास की सत्यता की प्रमाणिकता ऊपर के कोष्टकों से साफ मालूम होती है। इस लिये जैनाचार्यों के लिखे हुए अन्य इतिहास पर हम विशेष विश्वास

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