Book Title: Prachin Jain Itihas Sangraha Part 03 Kaling Desh ka Itihas
Author(s): Gyansundar Maharaj
Publisher: Ratnaprabhakar Gyanpushpamala

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Page 15
________________ १२ प्रा० ० इ० तीसरा भाग कलिङ्गाधिपति महामेघवाहन चक्रवर्ती महाराजा खारवेल के प्राचीन शिलालेख की "नकल" (श्रीमान् पं० सुखलालजी द्वारा संशोधित) विशेष ज्ञातव्य-असल लेख में जिन मुख्य शब्दों के लिए पहले स्थान छोड़ दिया गया था, उन शब्दों को यहाँ बड़े टाइपों में छपवाया है। विराम चिह्नों के लिए भी स्थान रिक्त है । वह खड़ी पाई से बतलाये गये हैं । गले हुए अक्षर कोष्टबद्ध हैं और उड़े हुए अक्षरों की जगह बिन्दियों से भरी गई है। [प्राकृत का मूल पाठ ] (पंक्ति १ ली)-नमो अराहंतानं [1] नमो सवसिधानं [1] ऐरेन महाराजेन माहामेघवाहनेन चेतिराज वसवधनेन पसथसुभलखनेन चतुरंतलुठितगुनोपहितेन कलिंगाधिपतिना सिरि खारवेलेन १ संस्कृतच्छाया। १ नमोऽर्हद्भ्यः [] नमः सर्वसिद्ध भ्यः [] एलेन महाराजेन महामेघवाहनेन चेदिराज वंशवर्धनेन प्रशस्तशुभलक्षणेन चतुरन्त-लुठितगुणोपहितेन कलिङ्गाधिपतिना श्री क्षारवेलेन

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