Book Title: Pannar Tithi Author(s): Shilchandrasuri Publisher: ZZ_Anusandhan View full book textPage 6
________________ 28 'योगण' रूप आपवानो बान पण छे, तो पण वणी लेवायु माथे नव रंग, अनुसंधान-२९ कमलदल, अनहदघंटा-अनहदचक्र - आ बधी वातो पण गुंथी लेवामां आवी छे. ते जोतां कृतिकार कोई नीवडेल हठयोगी होय तेवी छाप पडे छे. नवमी 'चाल'मां नवमुं अंग (आगम), नोम तिथिनी साथे नव रंग, नव रस, नव वाड, नव दुर्गा - आ बधुं पण वणी लेवायुं छे. तीर्थंकरना समवसरण- चित्रात्मक वर्णन पण छे, तो 'अनहद नोबत गाजें' लखीने तेने यौगिक रूप आपवानो गर्भित संकेत पण थयो छे. छप्पन्न दिक्कुमारीने 'योगण' (योगिनी) रूपे वर्णवी छे. समवसरणमां इंद्र द्वारा मंडायेल अखाडो (खेल) अने छत्रीश रागमय गीत तथा नाटक चाली रह्यां छे तेमज त्रिभंगी वाजां वागतां होवानो पण उल्लेख छे. आखंय वर्णन जैन मान्यतानी साथे साथे यौगिक प्रक्रिया- पण बयान आपी रह्यं होवा- भासे छे. अहीं पण 'अमीणो' ए चारणी प्रयोग जोवा मळे छे. दशमी 'चाल'मां दशमा अंग (आगम)नी तथा दशम तिथिनी वात तो छ ज, पण तेमां मुख्यत्वे 'दया'नी अने 'हिंसा'न करवानी वात थई छे. 'दया' ए साधुनी शासनमाता होवानुं विधान प्रथम कडीमां ज थयुं छे. कडी ६मां आश्रव-हंसा (हिंसा) ते परशासन, अने संवर ते निज (जिन)शासनएवं सुस्पष्ट प्रतिपादन थयुं छे. हिंसा ते परशासननी माता छे, केवल (ज्ञान) रूप करुणाली माता ते सिद्धनी धणियाणी छे, एवं पण निरूपण छे. आमां विद्यालब्धि, मंत्रविद्याने 'करामात' तरीके वर्णवी छे. विक्र लबध एटले वैक्रियलब्धि अर्थात् देवमाया. ११मी 'चाल'मां ११मुं अंग, अग्यारस तिथि, ११ रुद्र, ११ अंग, ११ प्रतिमा इत्यादिनुं स्वरूप जोवा मळे छे. 'अलख नारायण', "संकर', 'ब्रह्मा केशव रुद्र', 'युगवेद' आ बधी शब्दावली तथा तेनी समन्वयात्मक अने खण्डनात्मक चर्चा पण मजानी छे. १२मी 'चाल'मां बारमा अंग 'दृष्टिवाद'नी जिकर थई छे. १२ कला, बारस तिथि, १४ पूर्व-बधुं संयोजित थयुं छे. १४ पूर्व- प्रमाण केर्बु विपुल-विशाल होय ते समजाववानी पण मथामण थई छ. ॐ कार ए आदि पद, तेना त्रण पद 'अ-उ-म्', ते सत्त्व-रजस्-तमस् ए त्रिगुण तथा ब्रह्माविष्णु-महेश ए त्रिमूर्तिरूप होवानी वात जरा विलक्षण जैन दृष्टिए वर्णवी छे. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
1 ... 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35