Book Title: Pannar Tithi
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: ZZ_Anusandhan

View full book text
Previous | Next

Page 23
________________ August-2004 चाल: आगें तिथ अग्यारे अंगें करमविपाकनें छोड़ो आव्यो देख इग्यारमे ठांणे आगे केवल जोडो । अंग इग्यार लखावो भाई साधांने तेह दीजें विद्यासासणनें विसतारो आगमपंथ ठवीजें ॥१॥ रुद्र इग्यार क रचाणो (?) ते परसासण भाषें ते परपंच विपाक छंडावो अंग अग्यारनी साधें । पडिमाभेद एकादश मंडो आतमचंद उजालो तीरथनाथ धणीनी वांणी तीरथ आप संभालो ॥२॥ सूत्रतणी जे विद्या जांणो सोही साध सधीरा वेदपुराण कुरांण पच्छांणो जालम च्छे गुरुपीरा ||३|| जे जिनराज भजे भगवंता श्रीजगनाथ जिणंदा त्रिविधा जे परमेश्वर मांहें केवल आप कहंदा । वेद पुराण कुराण सिद्धान्ते जोयो अर्थ विचारी पारतणो पुरसोत्तम बेठो अणकरता अधिकारी ||४|| करता दोय कहो परमेश्वर: अलष नारायण आपें संकर लोकधणी जे साचो भौण त्रहेविध थापें । ब्रह्मा केशव रुद्र कमावें वसतरयो युग वेद अंग अग्यारे आगम मांड्या सासण सिधसंवेद ||५|| मारग ए छे सीधां हंदो सूरा तेह पच्छांणे ए जिनशाशन उजल अंगें आगम वेद वखांणे । पर करता परमेश्वर दाखें बोली वेद कुरांण लोकतणी जे लीला देखें करमतणें मंडाण ||६|| आपतणो परमेश्वर केवल सिधतणो जगदीस दोयविध आगे करत वसंभर शाशण दोय जगीस । Jain Education International For Private & Personal Use Only 45 www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35