Book Title: Pannar Tithi
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: ZZ_Anusandhan
View full book text
________________
34
अनुसंधान-२९
बीज थकी जिम झाड बोहि विध वशत्तरीयो युगवेद थड डाला आदि दशेविध जांणो बीजमां एहनो भेद ॥१॥ आदिधणी करता-जुगसाहिब कीधो हे खलक विधान निज जगदीश्वर सत्ता लेइ आव्यो एथ निदांन । खुद खाम(व)द खलक खुदा अनहद आसुरी श्रेष्ट अपार विष्णु देव नारायण त्रिविधा दैवी श्रेष्ट विचार ।।२।। जैन सत्ता जगदीश्वर जागे सो जिनराज कहंदा जैन तणी ज्येष्ट रचाणी ग्यांनी लोक गहंदा । देख धणी युगसाहिब साचो त्रिविधा रूप धरांणो वेद पूरांण कुरांण सिद्धान्ते भा भेद समाणो ।।३।। च्यारे वेद वली युग च्यारे चोगत वरण हे च्यार चोवट लोकधणी युग मांड्यो आदि शमति अपार । अथरवण वेदमां आश्व(शु)री भेद जेथ कुरांण कहंदा सांम जजुर रघुवेद त्रण्ये महि दैवि वांण भणंदा ॥४|| च्यारे वेद महि सत्त आगम देख सिद्धान्त विचार जैन तणो जगदीश्वर बोलें आगमसिध अपार । च्यारे वेद सदालिंग साचा चवदे पूरवमांहिं पिंड ब्रॉडमां परज रमांणो क्रीया शगति जगाहि ।।५।। च्यारे वेद चतुरदश पूरव माहे कुरांण कत्तेब (ब) लोकधणी लेइ उरसीथी आयो मांड्यो खेल हशेब । परिब्रह्म चिदानन्द हे पुरुसोत्तमः आदिसगत आराधे दोय मिली युग त्रिण्ये दाखां लोकनी माया वाधे ॥६॥ आशूरी माया अशूर हवंदा दैवी देव करंदा त्रिविधा रूप धरो धणीयाणी जोणी जोण भरंदा । अलख नारायण देव जिणंदा चोविस रूप धरावे मुनीचन्द्रनाथ धरे अवतार युगमांहि साहिब आवें ॥७॥
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35