Book Title: Pannar Tithi
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: ZZ_Anusandhan

View full book text
Previous | Next

Page 5
________________ August-2004 27 तथा 'आशूर' (आसुरी) शक्तिनो पण उल्लेख छे. छठी कडीमां वळी 'शेतान, हरांमी, काफर, हमद, केहर' - ए अरेबिक शब्दोनो सन्दर्भ खास ध्यानार्ह छे. तो ७मी कडीमां 'मरद-महेरी, नार-नरोत्तम, श्राविका-श्रावक' ए जोडलांपरक शब्दसमूह, तेमज आगळ जतां ते ज कडीमां 'मेहरी विना हज्ज (हज) न थाय के वेद-याग पण न थाय, माटे आदि शगत (शक्ति तत्त्व)- आराधन (करवू घटे)' - ए मतलब (स्थूल अर्थमा)नी पंक्तिओ- खास अध्ययनीय लागे छे. 'आदिशक्ति नो आ आग्रह ज, कर्ता चारण होय तेवी छाप ऊपसावी जाय छे. . छठी 'चाल'मां छुड़े आगम-ज्ञातासूत्र, छठ तिथि, छ द्रव्य - आ बधां जैन तत्त्वोनू निरूपण थयुं छे. छ युगनी पण वात छे. छ युग - छ आरा. 'घट घट साहिब देख तुं ग्यांनी' ए पंक्ति कबीरनी 'घट घट में वह सांई रमता' ए पंक्तिनी याद आपी जाय छे. आमां 'कहेर' न करवानी ने 'खयर, महेर ने बंदगी' तेमज 'कुरुणा'-(करुणा) वगेरे करवानी शीख, वेद-पुराण-कुराणना नामे आपी छे. सातमी 'चाल'मां सातमा अंगसूत्र (उपासकदशा)नो निर्देश सातम साथे मेळ सधाय तेम करेल छे. उपासक एटले श्रमणोपासक. श्रमणने अहीं 'गुरु', 'पीर' तरीके अने उपासकने 'सेवक', 'मुरीद' तरीके ओळखावेल छे. 'जती-वृत्त' (यतिव्रत) वाळा गुरु ते पीर, एवं स्पष्टीकरण त्रीजी कडीमां पण छे. 'सिद्धान्त' एटले 'वेद, पुराण, कतेब', अने तेनी आज्ञा ते 'फरमाण, हुकम, आगन्या' एम पण समजूती कडी ४मां छे. 'आपणो साहेब (पीरगुरु) जे पंथ बतावे ते पंथे सदा चालवू अने 'कहेर' तथा 'हंसा' (हिंसा अने त्रास) छोडवा - एवी शीख पण आपी छे. आम वर्ते ते ज साहेबना साचा सेवक; बाकी 'केहर' करवाथी तो 'दोजग' (नर्क) ज पामे, 'भिस्त' (बेहिस्त-स्वर्ग) न मळे. वळी ७ व्यसनना निवारणनी पण शीख आमां आपी छे. ____ आठमी 'चाल' बहु रहस्यपूर्ण होय तेम लागे छे. तेमां जैन परिभाषाना खासा शब्दो तो छे ज; पण तेमां एक बाजु जैनमान्य लोकपुरुषy शब्दचित्र आलेखलं जणाय छे, तो तेनी साथेज, योगमार्गना षट्चक्रो, कुंडलिनी-नाग, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35