Book Title: Panchatantra
Author(s): Vishnusharma, Motichandra
Publisher: Rajkamal Prakashan

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Page 11
________________ ( १३ ) राइडर ने अत्यन्त भावपूर्ण शब्दों में अपने अनुवाद की भूमिका में लिखा है-“पञ्चतन्त्र एक नीतिशास्त्र या नीति का ग्रन्थ है। नीति का अर्थ है जीवन में बुद्धिपूर्वक व्यवहार । पश्चिमी सभ्यता को इसके लिए कुछ लज्जित होना पड़ता है कि अंग्रेजी, फ्रेंच, लैटिन या ग्रीक उसकी किसी भाषा में नीति के लिए कोई ठीक पर्याय नहीं है। सर्वप्रथम, नीति इस बात को मानकर चलती है कि मनुष्य विचारपूर्वक अपने लिए सधूकड़ों का मार्ग छोड़कर सामाजिक जीवन का मार्ग चुनता है । दूसरे, नीति-प्रधान दृष्टिकोण इस प्रश्न का सराहनीय उत्तर देता है कि मनुष्यों के बीच में रहकर जीवन का अधिक-से-अधिक रस किस प्रकार प्राप्त किया जाय । नीतिप्रधान जीवन वह है जिसमें मनुष्य की समस्त शक्तियों और सम्भावनाओं का पूरा विकास हो, अर्थात् एक ऐसे जीवन की प्राप्ति जिसमें आत्मरक्षा, धनसमृद्धि, संकल्पमय कर्म, मित्रता और उत्तम विद्या, इन पाँचों का इस प्रकार समन्वय किया जाय कि उससे आनन्द की उत्पत्ति हो। यह जीवन का सम्भ्रान्त आदर्श है जिसे पञ्चतन्त्र की चतुराई और बुद्धि से भरी हुई पशुपक्षियों की कहानियों के द्वारा अत्यन्त कलात्मक रूप में रखा गया है।" वासुदेवशरण अग्रवाल

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