Book Title: Palipathavali
Author(s): Jinvijay
Publisher: Gujarat Puratattva Mandir Ahmedabad

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Page 6
________________ प्रास्ताविक नोंध .. पालीभाषा ए बौद्धसाहित्यनी प्रधान भाषा छे. सम्यक्संबुद्ध अर्हत् भगवान् सिद्धार्थ गौतमना जगत्कल्याणकर उपदेशो अने आदेशो मुळ पालीभाषामां ग्रथित थएला छे. बौद्ध धर्म भारतवर्षमाथी घणा सैकाओ पूर्व लगभग सर्वथा अदृश्य थई गरलो होवाथी, तेनां साहित्य अने भाषाथी जोके भारतवासियो तो आजे प्रायः बिलकुल अपरिचित छे, तो पण सिलोन, सियाम अने बर्मा जेवा भारतना उपनिवेशोमां ए धर्मनां साहित्य अने भाषानो अद्यापि घणो सारो प्रचार रहेलो छे. थोडां वर्ष थयां मुंबई अने कलकत्ता युनिवर्सिटिए पोताना अभ्यासक्रममां पालीसाहित्यने पण ऐच्छिक विषयमा स्थान आप्यु छे, तेथी आपणा देशमा पण दर वर्षे ५-२५ विद्यार्थी ए साहित्यना अभ्यासी निकळवा लाग्या छे. ___आर्य विद्या अने धर्मना अभ्यासीने जेम संस्कृत भाषाना अध्ययननी परमावश्यकता छे, तेम प्राकृत अने पाली भाषाना अध्ययननी पण परमा वश्यकता छे. जेम संस्कृतना अध्ययन विना पुरातन आर्यधर्मनी एक शाखा के जेने आपणे ब्राह्मणधर्मना नामथी संबोधिए छीए, तेना स्वरूपy यथार्थ ज्ञान थई शकतुं नथी, तेम प्राकृत अने पाली भाषाना अध्ययन विना ए ज चिरंतन आर्य धर्मनी बीजी बे शाखाओ, जेने आपणे जैन अने बौद्धना नामे संबोधिए छएि, तेना स्वरूपर्नु पण यथार्थ ज्ञान थई शकतुं नथी; अने ए त्रणे धर्मना Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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