Book Title: Palipathavali Author(s): Jinvijay Publisher: Gujarat Puratattva Mandir AhmedabadPage 61
________________ पालिपागवली २८. पटिच्चसमुप्पादो तेन समयेन बुद्धो भगवा उरुवेलायं विहरति नेरञ्जरायतीरे बोधिरुक्खमूले : पठमाभिसम्बुद्धो । अथ खो भगवा बोधिरुक्खमूले सत्ताहं एकपल्लंकेन निसीदि विमुत्तिसुखपटिसंवेदी । अथ खो भगवा रतिया पठमं यामं पटिच्चसमुप्पादं अनुलोमपटिलोमं मनसाकासि 5 : अविज्जापच्चया संखारा, संखारपञ्चया विजाणं, विभाणप चया नामरूपं, नामरूपपञ्चया सळायतनं, सळायतनपच्चया फस्सो, फस्सपञ्चया वेदना, वेदनापञ्चया तण्हा, तण्हापच्चया उपादानं, उपादानपच्चया भवो, भवपच्चया जाति, जातिपच्चया जरामरणं सोक परिदेवदुक्खदोमनर पायासा भवन्ति । एवमेतस्स केवलस्स दुक्ख10 क्खन्धस्स समुदयो होति । अविज्जाय त्वेव असेसविरागनिरोधा संखारनिरोधो, संखारनिरोधा विणनिरोधो, विज्ञआणनिरोधा नामरूपनिरोधो, नामरूपनिरोधा सळायतननिरोधो, सळायतननिरोधा फस्सनिरोधो, फस्सनिरोधा वेदनानिरोधो, वेदनानिरोधा तण्हा निरोधो, तण्हानिरोधा उपादाननिरोधो, उपादाननिरोधा भवनि15 रोधो, भवनिरोधा जातिनिरोधो, जातिनिरोधा जरामरणं सोकपरिदेवदुक्खदोमनस्सुपायासा निरुज्झन्ति । एवमेतस्स केवलस्स दुक्खक्खन्धस्स निरोधो होती ' ति । अथ खो भगवा एतमत्थं विदित्वा तायं वेलायं इमं उदानं उदानेसि-- यदा हवे पातुभवन्ति धम्मा 20 ___आतापिनो झायतो ब्राह्मणस्स । अयस्स कला वपयन्ति सब्बा यतो पजानाति सहेतु धम्म ति ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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