Book Title: Painnay suttai Part 1
Author(s): Punyavijay, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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गंथसमप्पणं
जे नाणिड्डिसमेया सम्मदंसणपभावया जे य । जे चार सययं अपमाया समणभगवंता ॥ १ ॥
जेहि य पइण्णयामहसुत्ताइं विरइयाइं विविहाई । बहुजणउवयार कराईं विसमकाले महत्थाई ॥ २ ॥
ताणं सव्वेसिं थेरभदंताणं च पुज्जपायाणं । करकमलेऽहं ' अमओ' विणयावणओ समप्पेमि ॥ ३ ॥
निग्गंथाणं एवं वीसप इण्णयमयं महागंथं । भवजलहितरणबोहित्यसन्निभं भव्वजीवाणं ॥ ४ ॥ चउहिं कलावयं ॥
तुम्ह सायाद्धं वत्थं तुम्हाण अप्पयंतस्स । मज्झं खु बालचरियं खमंतु पुज्जा खमासमणा ॥ ५ ॥
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