Book Title: Navgranthi Author(s): Yashodevsuri Publisher: Yashobharti Jain Prakashan Samiti View full book textPage 6
________________ वि ष या नु क्र मणि का 1. प्रकाशकीय निवेदन 2. संपादकीय निवेदन .. 3. प्रन्थकार महोपाध्याय श्रीमद् यशोविजयजी गणिवर्यनी जीवन शांखी 4. आत्मख्यातिथी लइने आ पुस्तकमां छापेला नवप्रन्यानो अतिसंक्षिप्त परिचय 5. प्रतिमोनो परिचय 6. जैन संघोने, संस्थाओने, अने पूज्य गुरुमहाराजाओने अनुलक्षीने जाणवा जेवू निवेदन. 7. भारतना बुद्धिनिधान केटलाक पंडितानी ऐतिहासिक-ज्ञातव्य-प्रेरक नोंध * नवग्रन्थानां सूचिः- तत्स्थानीयपृष्ठसंख्या च / * प्रन्याभिधानानि पृष्ठसंख्या 8. 1. आत्मख्यातिः न्याय) 1-84 2 वादमाला-द्वितीया 87-110 3 वादमाला-तृतीया. 114-126 4. विषयतावाद , 128-236 5 वायुष्मादे प्रत्यक्षाप्रत्यक्षत्वविवरणम् 139-143 અહીંથી શરુ થતા ગ્રન્થ અલગ અલગ રથળે છપાયા હોવાથી તમામના નંબરો અલગ અલગ સ્વતંત્ર રાખવા પડયા છે. (न्याय] 1-48 1-34 2-26 6 न्यायसिद्धान्तमञ्जरी शब्दखण्डटीका 7. यतिदिनकृत्यम् [पद्य] 8. विचारबिन्दुः (जुनी गुजराती भाषा) 9. तेरकाठियास्वरुप-वार्तिक (जुनी गुजराती भाषा) 10. श्रीमद् यशोविजजीकृत ग्रन्थोनी यादी [सं. २०३६नी] शुद्धिपत्रकम् 1 38Page Navigation
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