Book Title: Nandisutrasya Churni
Author(s): Rushabhdevji Keshrimalji Shwetambar Samstha, 
Publisher: Rushabhdevji Keshrimalji Shwetambar Samstha

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Page 15
________________ श्रीमलधायतिदिष्टाः ॥ १३ ॥ कल्लं (सब्बिड्डीए पूए) मह दट्टु धम्मचक्कं तु । विहरइ सहस्समेगं, छउमत्थो भारहे वासे ।। १७१० ।। ३३५ | बहलीय अडबइल्ला, जोणगविसओ सुवण्णभूमी य । आहिंडिया भगवया, उसभेण तवं चरंतेण ।। १७११ ।। ३३६. बहलीय जोणगा पण्हगा य जे भगवया समणुसट्टा । अन्ने य मेच्छजाई, ते तइया भद्दया जाया ।। १७१२ ।। ३३७ | तित्थगराणं पढमो, उसभसिरी विहरिओ निरुवसग्गं । अट्ठावओ नगवरो, अग्गभूमी जा जिणिंदस्स ।। १७१३ ।। ३३८ छउमत्थप्परियाओ, वाससहस्सं तओ पुरिमताले । नग्गोहस्स य हेट्ठा, उप्पण्णं केवलं नाणं ।। १७१४ ।। ३३९ फग्गुणबहुलकारसीए अह अट्ठमेण पुव्वण्हे । उप्पण्णंभि अणंते, महव्वया पंच पन्नवए ।। १७१५ ।। ३४० उप्पण्णंमि अणंते, नाणे जरमरणविप्पमुकस्स । तो देवदाणविंदा, करेंति महिमं जिदिस्स ।। १७१६ || ३४१ उज्जाणपुरिमताले, पुरीविणीयाए तत्थ नाणवरं । चक्कुपया य भरहे, निवेयणं चैव दोपि ।। १७१७ ।। ३४२ ( तायं ) मि पूतिये चक्क पूतियं (पूय ) णारिहो ताओ। इहलोइयं तु चक्कं परलोगसुहावहो ताओ ।। १७९८ ।। ३४३ सह मरुदेवीए निग्गओ कहणं पव्वज्ज उसभसेणस्स । बंभी मिरीइदिक्खा ( सुंदरि ओरोह सुअदिखा ) ।। १७९९ ।। ३४४ ( पंच य पुत्तसयाई भरहस्स य सत्त नतुयसयाई ) । सयराहं पव्वतिया, तंमि कुमारा समोसरणे ।। १७२० ।। ३४५ भवणवति वाणमंतर जोइसवासी विमाणवासी य् । सव्विड्डीए सपरिसा, करेंति नाणुप्पयामहिमं ।। १९२१ ॥ ३४६ दद्दण कीरमाणीं, महिम देवेहिं खनिओ मिरीई । संमत्तलद्धबुद्धी, धम्मं सोऊण पव्वइओ ।। १७२२ ॥ ३४७ सामाइयमाईयं, एकारसमाउ जाव अंगाउ । उज्जुत्तो भत्तिगओ, अहिज्जिओ सो गुरुसगासि ।। १७२३ ।। ३७ मा. विशेषा वश्यक गाथाः ॥ १३ ॥

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