Book Title: Nandisutrasya Churni
Author(s): Rushabhdevji Keshrimalji Shwetambar Samstha,
Publisher: Rushabhdevji Keshrimalji Shwetambar Samstha
View full book text ________________
श्रीमलधायतिदिष्टाः
॥ ११ ॥
एकासीती छावत्तरीय छावट्टि सत्तपन्ना य । पन्ना तेंयालीसा, छत्तीसा चैव पणतीसा ।। १६८२ ॥ २६१ तेत्तीसऽट्ठाबीसा, अट्ठारस चैव तह य सत्तरस । एक्कारस दस नवगं, गणाण माणं जिणिदाणं ॥। १६८३ ।। दारं २६८ एक्कारस उ गणहरा ( जिणस्स वीररस ) सेसयाणं तु । जावतिया जस्स गणा, तावइया गणहरा तस्स ।। १६८४ ।। दार २७९ धम्मोवायो पवयणमहवा पुब्वाई देसया तस्स । सव्वजिणाणं गणहरा चोहसपुब्वी य जे जस्स ।। १६८५ ।। २७० सामाइयाइया वा, वयजीवनिकाय भावणा पढमं । एसो धम्मोवाओ, जिणेहिं सव्वेहिं उवहट्ठो ।। १६८६ ।। दारं २७१ उस मस्स पुव्वलक्खं पुब्वंगूणमजियस्स तं चैव । चउरंगूणं लक्खं पुणो पुणो जाव सुविहिति ॥ १६८७ ॥ २७२ पणवीसं तु सहस्सा पुव्वाण सीयलस्स परियाओ । लक्खाई एगबस सिज्जूंस जिणस्स वासाणं ।। १६८८ ।। २७३ चउपन्नं पन्नारस, तत्तो अट्टमाई लक्खाई । अड्डाइज्जाई ततो, बाससहस्साइं पणुवसिं ।। १६८९ ॥ २७४ तेवीसं च सहस्सा, सयाणि अद्धमाणि य हवंति । इगवसं च सहस्सा, वाससऊणा व पणपन्नं ।। १६९० ।। २७५ अद्धमा सहस्सा, अड्डाइज्जा य सत्त य सयाई । सत्तरी बिचत वासा, दिक्खा ( कालो जिनिंदाणं ) ।। १६९१ ॥ २७६ छउमत्थकालमेत्तो, सोहेउं सेसओ उ जिणकालो । सव्वाउयंपि एत्तो, उसभादीणं निसामेह ।। १६९२ ।। ३०२ चउरासीति बिसत्तरि सट्ठी पन्नासमेव लक्खाई । चत्ता तीसा वीसा, दस दो एगं च पुव्वाणं ।। चउरासीती बावत्तरी य सट्ठी य होंति वासाणं । तीसा य दस य एगं, च एवमेते सयसहस्सा ।। पंचणउती सहस्सा, चउरासीती य पंचपण्णा य । तीसा य दस य एवं सयं च बावतारं चैव ।।
१६९३ ॥ ३०३ १६९४ ।। ३०४ १६९५ ।। ३०५
विशेषावश्यक गाथाः
॥ ११ ॥
Loading... Page Navigation 1 ... 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 ... 238