Book Title: Nandisutrasya Churni
Author(s): Rushabhdevji Keshrimalji Shwetambar Samstha,
Publisher: Rushabhdevji Keshrimalji Shwetambar Samstha
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विशेषावश्यक गाथाः
श्रीमलधा- सबेवि एगदुसेण निग्गया जिणवरा चउव्वीसं । ण य नाम अन्नलिंगे, नो गिहालेंगे कुलिंगे वा ॥१६५४ ॥ वीरो २२६ ॥२२॥ यातादष्टाः समइत्त सुमइत्थ] निच्चभत्तो, वसुपुज्जो निग्गतो चउत्थेणं । पासो मल्लीविय अट्ठमेण सेसा उ छडेणं ॥ १६५५ ॥ २२८ ॥ ॥९॥
(उसभो य विणीयाए बारवईए अरिट्ठवरनेमी । अवसेसा तित्थयरा) निक्खंता जम्मभूमीसु ॥ १६५६ ॥ २२९ ॥ | उसभो सिद्धत्थवर्णमि वासुपुज्जो विहारगिहयंमि । धम्मो य वप्पगाए, तेलगुहाए य मुणिनामा ।। १६५७ ॥ २३०॥
आसमपयंमि पासो, वीरजिणिदो य नायसंडंमि । अवसेसा निक्खंता, सहसंबवणंमि उज्जाणे ॥ १६५८ ॥ २३१ ॥ तपासो अरिहनेमी, सेज्जंसो सुमइ मल्लिनामा य । पुव्वण्हे निक्खता सेसा पुण पच्छिमण्डंमि ॥ १६५९ ॥ दारं २३२
गामायारा विसया, निसेविया ते कुमारवज्जेहिं । गामागरादिएसु य, केसु विहारो भवे कस्स? ॥ १६६० ॥ २३२ ॥ | मगहा रायगिहाइसु, मुणओ खेत्तारिएसु विहरिंसु । उसभो नेमी पासो, वीरो य अणारिएसुपि ॥ १६६१ ॥ दारं २३४ उदिता परीसहा सिं, पराइया ते य जिणवरिंदेहिं । दारं । नव जीवाइपयत्थे, उवलभिऊणं व निक्खता ॥ १६६२ ॥ दार २३५ पढमस्स बारसंगं, सेसाणेकारसंगसुयलाभो । दारं । पंच जमा पढमतिमजिणाण सेसाण चत्तारि ॥ १६६३ ॥ २३६ ॥ पच्चक्खाणमिणं । दारं । संजमो उ पढमंतिमाण दुविगप्पो । सेसाणं सामइओ, सत्तरसंगो य सव्वेसि ॥ १६६४ ॥दार।। २३७ वाससहस्सं बारस चोद्दस अट्ठारवीसवरिसाई । मासा छण्णवतित्तिय, चउतिगद्गमेक्कगदुगं च ॥ १६६५ ॥ २३८ ॥
तिदुएक्कगसोलसंग, वासा तिनि य तहेवहोरत्तं । मासेक्कारसनवगं, चउपण्णदिणा य चुलसीति ॥१६६६ ॥ २३९ ॥ सतह बारस वासाई, जिणाण छउमस्थकालपरिमाणं । दारं । उग्गं च तवोकम्म, विसेसओ बद्धमाणस्स ॥ १६६७ ॥ दार २४०॥
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